
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केंद्र सरकार फिर आमने-सामने हैं. ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) का पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी पर आरोप है कि वे ‘सुपर चीफ मिनिस्टर’ बनने की कोशिश कर रहे हैं और राज्य सरकार के प्रशासनिक कामकाज में दखल दे रहे हैं.
TMC की नाराजगी की वजह बनी है राज्यपाल के दफ्तर से मालदा के डिविजनल कमिश्नर को भेजी गई एक चिट्ठी. इस चिट्ठी में कहा गया था कि राज्यपाल चाहते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रही विकास योजनाओं की प्रगति की समीक्षा के लिए 6 फरवरी को होने वाली बैठक में जिले के अधिकारी मौजूद रहें.
चिट्ठी में राज्यपाल के दौरे के दौरान मुर्शिदाबाद के आईजी (पुलिस) के बैठक में मौजूद रहने के लिए भी कहा गया. चिट्ठी में 6 फरवरी को होने वाली बैठक में सीमावर्ती क्षेत्रों में कानून और व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा होने का उल्लेख भी किया गया. इस चिट्ठी की प्रति राज्य के मुख्य सचिव के साथ मुर्शिदाबाद के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को भी भेजी गई।
राज्यपाल मंगलवार सुबह बहरामपुर में सेंट्रल सेरीकल्चर रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के रजत जयंती समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे. उन्होंने सर्किट हाउस में अधिकारियों के साथ बैठक में क्षेत्र की व्यापक स्थिति का जायजा लिया. इस दौरान बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों समेत आईजी (मुर्शिदाबाद रेंज) भी मौजूद रहे.
मुर्शिदाबाद के जिला मजिस्ट्रेट पी उलगनाथन ने बैठक को गोपनीय बताते हुए उसके बारे में मीडिया को कोई जानकारी देने से इऩकार किया. मंगलवार शाम को कोलकाता में एक समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे राज्यपाल ने मुर्शिदाबाद में उनकी बैठक को लेकर टीएमसी के विरोध जताने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
तृणमूल कांग्रेस ने राज्यपाल पर आरोप लगाया है कि वे प्रशासनिक मामलों में राज्य सरकार को बाइपास करने की कोशिश कर रहे हैं. टीएमसी सांसद दिनेश त्रिवेदी ने कहा, ‘हम संविधान का सम्मान करते हैं लेकिन राज्यपाल सुपर चीफ मिनिस्टर नहीं हो सकते. लोगों ने सत्ता के लिए सीएम को वोट दिया है, राज्यपाल को नहीं. वो प्रशासनिक प्रमुख नहीं हैं. उनका पद प्रतीकात्मक और सांविधानिक है जिसका हम सम्मान करते हैं. लेकिन ये प्रोटोकॉल का बड़ा उल्लंघन है.’
हालांकि पश्चिम बंगाल के बीजेपी प्रमुख दिलीप घोष ने राज्यपाल का समर्थन किया. उन्होंने कहा, ‘टीएमसी अड़चनों वाली राजनीति कर रही है. राज्यपाल लंबे समय तक स्पीकर (यूपी विधानसभा में) रह चुके हैं और सांविधानिक मामलों में काफी अनुभवी हैं. टीएमसी केंद्र सरकार का अंधविरोध कर रही है. राज्यपाल ने सोच समझ कर ही ऐसा कदम उठाया होगा, मैं इस पर पूरी तरह आश्वस्त हूं.’
इस मामले की गूंज दिल्ली में संसद में भी सुनाई दी. टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने राज्यसभा में इस पर बहस के लिए नियम 267 के तहत नोटिस दिया. हालांकि सभापति वेंकैया नायडू ने टीएमसी की मांग को खारिज कर दिया. शून्य काल में डेरेक ओ ब्रायन ने जब विरोध किया. इसके बाद सदन की बैठक स्थगित हो गई.
डेरेक ओ ब्रायन ने एक ट्वीट में कहा- ‘लोकतंत्र की हत्या. विपक्ष को राज्यसभा, संसद में दबाया जा रहा है. हमें शून्य काल में मुद्दे उठाने की इजाजत नहीं दी जा रही है. हम ये सहन नहीं करेंगे.’ ये दूसरा मौका है जब ममता बनर्जी और राज्यपाल आमने सामने हैं. पिछले साल ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि राज्यपाल ‘बीजेपी ब्ल़ॉक प्रमुख’ की तरह काम कर रहे हैं और लोगों की ओर से चुनी हुई सीएम को धमका रहे हैं. बता दें कि तब राज्यपाल ने उत्तरी 24 परगना जिले के बसीरहाट सब डिविजन में साम्प्रदायिक तनाव के बाद फोन पर कानन और व्यवस्था की जानकारी ली थी.