
ज़मीन अपने अंदर से शोले उगलता है. बाहर आते ही शोले पिघलते हैं और फिर लावा या यूं कहें कि आग के दरिया की शक्ल में वही शोले करीब सौ किलोमीटर पति घंटा और 700 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ रिहाइशी बस्ती की तरफ बढ़ने लगते हैं. पीछे-पीछे शोले और आगे-आगे धुएं का गुबार. दोनों ही जानलेवा और दोनों की ही रफ्तार बेहद तेज़.
खौफनाक ज्वालामुखी
लोगों को जान बचाने का मौका ही नहीं मिला. जो जहां था वहीं राख हो गया और जो शोलों की चपेट से बचे उन्हें धुएं ने दम घोंट कर मार ड़ाला. मध्य अमेरिकी देश ग्वाटेमाला में ये सदी का अब तक का सबसे खौफनाक ज्वालामुखी विस्फोट था.
घर की दहलीज पर तबाही
धुएं के इस गुबार ने लोगों को संभलने ही नहीं दिया. जब तक कुछ समझ आया. तब तक ये तबाही घर की दहलीज़ में दाखिल हो चुकी थी. जो गाड़ियों में सवार थे बसी उन्हीं को जान बचाने का मौका मिला. और बाकियों को बाद में ज़मीन कुरेद कुरेद कर निकाला गया. किसी को चादर में लपेट कर. किसी को बोरियों में भरकर. किसी को गोद में उठाकर और कई को गाड़ियों का शीशा तोड़कर. मतलब जो जहां था वहीं खामोश हो गया. क्योंकि उनकी सांसों में काला धुआं समा चुका था.
गर्द में दफ्न हुए जिंदा इंसान
जो इस धुएं के गुबार को किसी तरह चीर कर निकले भी. वो इस कदर बदहवास थे. जैसे अपनी आंखों से अभी अभी मौत को देखकर आए हों. इन्हें यकीन ही नहीं हो रहा है कि ये ज़िंदा हैं. कई सौ लोगों के अभी भी इस गर्द में दफ्न होने का अंदेशा है. ना मालूम ज़िंदा भी हैं या मर गए. वैसे अभी तक जितनी लाशें मिली हैं उनकी तादाद 75 है.
हर तरफ धुआं ही धुआं
पहाड़ों से निकलकर. जंगलों को पार करने में इस तबाही को ज़्यादा वक्त नहीं लगा. बस पलभर में ये पूरा इलाका धुआं धुआं हो गया. गलियां राख में अटी पड़ी थीं. और सड़कों पर कीचड़ की मोटी परत जमी हुई थी. कई किलोमीटर तक लोगों को आसमान नज़र नहीं आ रहा था. नज़र आ रहा था तो सिर्फ धुआं. पूरा इलाका तबाह हो चुका था.
तेज रफ्तार से आती तबाही
गाड़ियों की रफ्तार भी इस धुएं की रफ्तार के सामने धीमी पड रही थी. क्योंकि ये तबाही ज्वालामुखी से निकलकर रिहायशी इलाकों में 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से घुस रही थी. इतना ही नहीं मौके पर मौजूद रेस्क्यू टीम के मुताबिक इस धुएं की वजह से 700 डिग्री सेल्सियस के तापमान से गर्मी पैदा हो रही थी.
ग्वाटेमाला में ज्वालामुखी विस्फोट
मध्य अमेरिकी देश ग्वाटेमाला में ये सदी का सबसे भयानक ज्वालामुखी विस्फोट था. राजधानी से महज़ 40 किलोमीटर दूर इस फ्यूएगो ज्वालामुखी में विस्फोट इतना भयानक हुआ कि इसके फटने से भारी तादाद में लाल-गर्म लावा और ज़हरीली गैस का गुबार निकला. जिस तेज़ी से तबाही पहाड़ को चीरकर बाहर निकली उसने लोगों को बचने का मौका नहीं दिया.
दिल दहला देने वाला मंजर
लावा जिस तेज़ी से बहकर गांवों में पहुंचा उससे घरों में बैठे अनगिनत लोग तो जलकर मर गए. डिजास्टर मैनेजमेंट की टीम ने जब इस हादसे का हवाई जायज़ा लिया. तो दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आईं. पूरा इलाके धुए की गर्द में डूबा हुआ था. फ्यूएगो ज्वालामुखी में विस्फोट के बाद से लावा की एक नदी सी बह रही थी.
3 जून को फटा ज्वालामुखी
आपको बता दें कि ग्वाटेमाला के 3,763 मीटर ऊंचे इस ज्वालामुखी में 3 जून को विस्फोट हुआ. जिसके बाद 8 किलोमीटर के दायरे में भयानक तबाही मची. जिसकी चपेट में पास के दर्जन भर गांव आ गए. लेकिन सबसे ज़्यादा लोग अल रेडियो, अलोतेनांगो और सैन मिगुएल गांव के लोग प्रभावित हुए. मारे गए लोगों में भी इन्हीं गांव के लोगों की तादाद सबसे ज्यादा है.
पूरे देश में अलर्ट
राष्ट्रपति जिमी मोरालेस ने इन इलाकों में रेड अलर्ट और पूरे देश में ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया है. हालात बेकाबू होने पर आपातकाल की भी घोषणा की जा सकती है. खबर है कि इन इलाके से अब तक 10 हजार से ज्यादा लोगों को बाहर निकाल जा चुका है.
एक तरफ शोले तो दूसरी तरफ शोलों से उठता धुआं. मौत दोनों तरफ यकीनी है और यो दोनों जब बुझे और छटे तो अपने पीछे बस तबाही छोड़ गए. राख के ढेर के नीचे लाशों के ढेर को ढूंढने का काम लगातार जारी है. राख के ऐसे हर ढेर के नीचे अलग-अलग कहानियां दफन हैं. ऊपर से खौफ की बात ये है कि इसी शहर में अब भी दो ज्वालामुखी धधक रहे हैं. कहीं गलती से ये दोनों भी फट गए तो अंदेशा यही है कि ग्वाटेमाला पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा.