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केंद्र सरकार सिविल सेवा परीक्षा के पैटर्न में बदलाव करने की तैयारी में है. सरकार की यूपीएससी रैंक की बजाय फाउंडेशन कोर्स में नंबरों के आधार पर कैडर आवंटित किए जाने की योजना है. हालांकि सरकार के इस कदम का विरोध किया जा रहा है. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने संबद्ध विभाग से इस बारे में पड़ताल करने को कहा है कि क्या 'फाउंडेशन कोर्स' पूरा होने के बाद सेवा / कैडर का आवंटन किया जा सकता है?
बता दें कि सभी सेवाओं के अधिकारियों के लिए फाउंडेशन कोर्स की अवधि तीन महीने है. संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा में चुने गए उम्मीदवारों को सेवा का आवंटन अभी फाउंडेशन कोर्स पूरा होने से पहले किया जाता है. लेकिन अब केंद्र सरकार सेवा का आंवटन कोर्स के बाद करना चाहता है.
पीएमओ इस बारे में जानना चाहता है कि परीक्षा के आधार पर चयनित प्रोबेशनर को सेवा आवंटन/कैडर आवंटन क्या फाउंडेशन कोर्स के बाद किया जा सकता है? इसके तहत परीक्षा में सफल लोगों के लिए नौकरी और काडर चुनने में किताबी ज्ञान के साथ व्यावहारिक ज्ञान भी जांचा जाएगा. जमीनी ज्ञान में मिले नंबरों से ही तय होगा कि वे किस सेवा में जाने के लायक हैं. इस सिस्टम के लागू होने के बाद कम रैंक वाले उम्मीदवार भी आईएएस बन सकते हैं.
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कार्मिक मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि विभागों को भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) जैसे अन्य केंद्रीय सेवाओं के आवंटन के प्रस्ताव पर भी अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा गया है. वहीं सरकार की योजना की आलोचना करते हुए कांग्रेस ने कहा कि सरकार का यह कदम सिविल सेवा मेरिट को बर्बाद कर देगा. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि मोदी जी एक ऐसा खतरनाक प्रस्ताव सामने लाए हैं जो अखिल भारतीय सिविल सेवा की मेरिट को ही खत्म कर देगा.
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा कि इस प्रस्तावित कदम को स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे ओबीसी, दलित और आदिवासी पृष्ठभूमि के सफल अभ्यर्थियों को पहले की तरह अवसर नहीं मिल पाएंगे. पटेल ने सवाल किया कि क्या यह आरक्षण की व्यवस्था को कमजोर करने का एक और प्रयास नहीं है?
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गौरतलब है कि सिविल सेवा परीक्षा के जरिए भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) सहित अन्य सेवाओं के लिए चयन किया जाता है.