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ट्रांसफर पोस्टिंग पर केंद्र की राय- केजरीवाल सरकार के पास नहीं है हक

केंद्र सरकार के सूत्रों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एक बार फिर आर्टिकल 239 को बल दिया है. केंद्र का कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश को लेकर अभी भी चीज़ें अलग ही हैं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल (फाइल फोटो) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल (फाइल फोटो)
राहुल श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 06 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 12:45 PM IST

राजधानी दिल्ली में अधिकारों की जंग सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी खत्म होती नहीं दिख रही है. सुप्रीम कोर्ट ने भले ही अपने फैसले में अरविंद केजरीवाल सरकार को ताकत दी हो लेकिन अभी भी ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर मामला फंसा है. अब इस पर केंद्र सरकार का कहना है कि दिल्ली सरकार के पास अभी भी ट्रांसफर पोस्टिंग करने का हक नहीं है.

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केंद्र सरकार के सूत्रों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एक बार फिर आर्टिकल 239 को बल दिया है. केंद्र का कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश को लेकर अभी भी चीज़ें अलग ही हैं.

केंद्र का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि तीन मुद्दे (पुलिस, लॉ एंड ऑर्डर, जमीन) उपराज्यपाल के पास ही रहेंगे, जबकि अन्य मामलों में एलजी को दिल्ली सरकार की सलाह पर काम करना होगा वहीं कहीं पेच फंसता है तो वह मामला राष्ट्रपति को भेज सकते हैं.

वहीं इन तीन मामलों के अलावा कोई अन्य शक्तियों में ट्रांसफर पोस्टिंग की पावर नहीं है. केंद्र सरकार का कहना है कि पूर्ण राज्य की सरकारों के पास उनका खुद का कैडर होता है लेकिन दिल्ली के साथ ऐसा नहीं है. उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश के पास अपना कैडर है इसलिए वहां के सीएम ट्रांसफर कर सकते हैं.

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लेकिन दिल्ली के पास अपना कैडर नहीं है, सभी केंद्र शासित प्रदेशों का एक ही कैडर है. इसलिए दिल्ली सरकार इस पर हक नहीं जमा सकती है. अगर ऐसा होता है तो दिल्ली सरकार कैसे तय कर सकती है कि कौन अधिकारी कहां पर जाएगा.

सर्विसेज विभाग ने लौटाई सिसोदिया की फाइल

दिल्ली सरकार और एलजी के बीच अधिकारों को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया लेकिन फैसले के चंद घंटे के भीतर ही फिर से अधिकारों पर तकरार शुरू हो गई. सर्विसेज विभाग ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की भेजी गई फाइल को लौटा दिया है.

भले ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर और मुख्यमंत्री के बीच अधिकारों के बंटवारे की रेखा खींच दी हो लेकिन लगता है अभी खेल बाकी है. इसकी शुरुआत देर रात उस वक्त हुई जब दिल्ली के नौकरशाह के एक वरिष्ठ अफसर ने उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आदेश पर टका सा जवाब देते हुए उसे मानने से साफ इनकार कर दिया.

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और उपराज्यपाल के बीच काफी लंबे समय से चल रही जंग के बीच सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपराज्यपाल दिल्ली में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, एलजी को कैबिनेट की सलाह के अनुसार ही काम करना होगा. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना मुमकिन नहीं है.

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार ही राज्य को चलाने के लिए जिम्मेदार है. फैसले के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर खुशी जता दी है, उन्होंने कहा है कि दिल्ली में लोकतंत्र की जीत हुई है. आम आदमी पार्टी लगातार आरोप लगाती रही है कि केंद्र की मोदी सरकार एलजी के जरिए अपना एजेंडा आगे बढ़ा रही है और राज्य सरकार को काम नहीं करने दे रही है.

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