
बिहार चुनाव पर आज तक की पंचायत में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार ने बिहार चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है. नीतीश ने कहा कि इस साल सिर्फ बिहार में चुनाव है. इसलिए बिहार का चुनाव फोकस में है. 2010 के चुनाव में भी इसकी बहुत चर्चा हुई थी. 15-16 महीने पहले देश की जनता ने केंद्र में बहुमत की सरकार बनाई है. लोगों की अपेक्षाएं हैं.
RSS पूरे देश पर कब्जा करना चाहता है
नीतीश ने कहा कि अगर कुछ पा लिया है तो और पाने की
लालसा होती है. दिल्ली मिल गई तो और कुछ मिल जाए. कांग्रेस भी इसी ढर्रे पर चली. जेपी मूवमेंट के बाद कांग्रेस हिली. अब एनडीए की सरकार है. बहुमत मिला है
तो लगता है कि पूरे देश के प्रत्येक राज्य पर कब्जा कर लेंगे. उस पार्टी का पैरेंट ऑर्गेनाइजेशन भी साथ खड़ा है. आजादी की लड़ाई के बाद कांग्रेस, सोशलिस्ट, क्षेत्रीय दल उनके पूर्वजों की पृष्ठभूमि आजादी की लड़ाई से कहीं न कहीं जुड़ी हुई थी. पहली
बार देश में लोकसभा में एक ऐसे दल को बहुमत मिला जिसके पैरेंट ऑर्गेनाइजेशन RSS का आजादी की लड़ाई में कोई लेना-देना नहीं रहा. अब वो
पूरे देश पर कब्जा करना चाहते हैं.
जेपी RSS कैडर को लेकर चले थे
नीतीश ने कहा कि 2014 से पहले ये भावना नहीं थी. जेपी RSS कैडर को लेकर चले थे.
उस समय बीजेपी की वो ताकत नहीं थी. जेपी के नेतृत्व में जो आंदोलन चला, उन्होंने लोगों को साथ लेकर चलने के लिए पार्टी तक बनवा दी. विचार
तो बदलता ही रहता है. लेकिन उनका एप्रोच बदलता गया. धीरे-धीरे, गैर जनसंघ और गैर कांग्रेस दलों का उभार हुआ और साथ ही बिखराव भी. उनकी पुरानी कोर
आइडियोलॉजी कहीं खो गई.
वाजपेयी की तारीफ
नीतीश ने कहा कि एक समय में एनडीए के नेतृत्वकर्ता अटल जी थे, जिनका एप्रोच, राजधर्म के प्रति कमिटमेंट, विवादित
मुद्दे पर लेफ्ट फ्रंट का सभी पार्टियों को साथ लेकर चलना...सबकुछ अच्छे से चलता था. ऐसा सिर्फ अटलजी कर सके. यह पूछे जाने पर कि आप कभी एनडीए के साथ थे, नीतीश ने कहा कि 2005 में अटलजी के कारण ही साथ थे.
दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले
नीतीश ने अरविंद केजरीवाल का समर्थन करते हुए दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का पक्ष लिया. उन्होंने कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य मिलना चाहिए. दिल्ली सरकार फैसले लेती है और उपराज्यपाल उसे बदल देते हैं. ऐसे प्रशासन नहीं चलता. यह पूछे जाने पर कि केजरीवाल को फिर बुलाएंगे आप, नीतीश ने कहा कि केजरीवाल का बिहार से क्या लेना-देना. सहयोग में जो भी आना चाहेंगे वो आएंगे.
दिल्ली की हार की तिलमिलाहट
नीतीश ने कहा कि दिल्ली का मू़ड बताता है कि देश का मूड क्या है. लोग इन चीजों को बड़ी गहराई से देखते हैं और लिखते हैं. 70 हजार RSS कैडर वहां लगाए गए थे, लेकिन सीटें मिलीं केवल तीन. अब आ गया बिहार चुनाव. तेवर देखिए. भाषण सुनिए. तथ्य जो कहे जाते हैं वो देखिए. दिल्ली की हार की तिलमिलाहट है.
PM को शोभा नहीं देती ऐसी भाषा
नीतीश ने कहा- हमें क्या ध्वस्त करेंगे. हम क्या चीज हैं. बात सिर्फ नरेंद्र मोदी की नहीं है. व्यक्ति से मेरा कोई झगड़ा नहीं है. लेकिन देश के प्रधानमंत्री से ऐसी भाषा निकले ये हम नहीं सोचते. ऐसी भाषा उन्हें शोभा नहीं देती. जिनकी पृष्ठभूमि आजादी की लड़ाई से जुड़ी नहीं है उनसे आप अपेक्षा भी क्या कर सकते हैं.