
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को तमिलनाडु के प्रचलित, लेकिन विवादित जलीकट्टू त्योहार (बैलों की दौड़) पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है. फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद कहा है, वहीं एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट्स ने इस फैसले को क्रूर करार दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने लगाया था प्रतिबंध
मई 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने बैलों को भी ऐसे जानवरों की श्रेणी में शामिल करने का आदेश दिया, जिनको प्रशिक्षित कर त्योहारों में प्रदर्शन करने पर रोक हो. इसके बाद पिछले साल पहली बार इस त्योहार पर रोक लगी थी. तमिलनाडु सरकार ने केंद्र से इस त्योहार को जारी रखने के लिए अध्यादेश लाने की मांग की थी. लेकिन पर्यावरण मंत्रालय की ताजा अधिसूचना ने जलीकट्टू और इस तरह के बैल से जुड़े आयोजनों का रास्ता साफ कर दिया है.
जलीकट्टू त्योहार को लेकर क्यों है विवाद
गौरतलब है कि जलीकट्टू का आयोजन पोंगल के मौके पर किया जाता है. इस बार यह आयोजन 15 जनवरी को होना है. इस दौरान बैलों की आंखों जैसे संवेदनशील हिस्सों में मिर्च पाउडर डालकर उन्हें दौड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है.एक युवक को उसे वश में करना होता है. बीते वर्षों में इस त्योहार के दौरान दर्जनभर से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं.
तमिल इतिहासकारों के मुताबिक यह त्योहार 2 हजार साल पुराना है. पूर्व की यूपीए सरकार ने इस पर 2011 में ही प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था, लेकिन 2015 तक इसका पालन नहीं हुआ था.