
केंद्र सरकार दावा करती है कि घरेलू गैस सब्सिडी के सीधे बैंक खातों में ट्रांसफर से 12 हजार 700 करोड़ रुपये की बचत हुई है. हाल ही में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट नामक एक रिसर्च संस्थान ने सरकार के इस दावे पर सवाल उठाए हैं. संस्थान का कहना है कि सब्सिडी के खातों में सीधे हस्तांतरण से होने वाली बचत का सरकार का अनुमान वास्तविक नहीं है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट (आईआईएसडी) के मुताबिक 2014-15 में इस स्कीम के लागू होने के बाद सरकार ने ये दावा किया कि उसे इस स्कीम से 12,700 करोड़ रुपये बचत के रूप में प्राप्त हुए लेकिन यह दावा गलत है उसे इसके मुकाबले महज 143 करोड़ रुपये की बचत हुई है.
स्टडी के लेखक कीरन क्लार्क ने बताया कि हमारी स्टडी से यह पता चलता है कि पिछले साल सब्सिडी के नकद हस्तांतरण से होने वाली बचत का अनुमान को बढ़ा-चढ़ाकर कर बताया गया है. हालांकि सरकार की ओर से इस बचत के बारे में कोई आधिकारिक दस्तावेज जारी नहीं किया गया है.
एनडीए सरकार ने 2014 में देश में 54 जिलों में यह योजना शुरू की थी और जनवरी 2015 में इसे देश के सभी जिलों में लागू किया गया. आईआईएसडी ने इस योजना को दुनिया की सबसे बड़ी नकद सब्सिडी हस्तांतरण योजना बताया है. रिपोर्ट के अनुसार अरविंद सुब्रमण्यन का कहना है कि 12,700 करोड़ की बचत 2014-15 के लिए नहीं है.