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यमुना के पास लैंडफिल साइट बनाने में हैं कई चुनौतियां

निगम के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगा यहां भूजल प्रदूषण को रोकना होगा. इस जमीन पर बारिश के कारण काफी पानी जमा है जो धीरे-धीरे ज़मीन में रिसता है.

प्रस्तावि‍त लैंडफिल साइट प्रस्तावि‍त लैंडफिल साइट
रवीश पाल सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 04 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:02 AM IST

ग़ाज़ीपुर लैंडफिल हादसे के बाद ईस्ट एमसीडी की नजरें अब उत्तर पूर्वी दिल्ली के घोंडा गुर्जन खादर की उस जमीन पर टिक गई हैं, जिसे डीडीए ने निगम को लैंडफिल साइट बनाने के लिए सौंपा है, लेकिन निगम को यहां लैंडफिल साइट बनाने से पहले कई चुनौतियों से निपटना है, जो इतना आसान नही दिखता.

आपको बता दें कि डीडीए ने घोंडा गुर्जन खादर में करीब 150 एकड़ जमीन ईस्ट एमसीडी को सौंपी तो है, लेकिन यमुना नदी से इसकी नज़दीकी पर्यावरण के लिहाज से तो खतरनाक है ही, वहीं आसपास रहने वालों ने भी इस पर अभी से आपत्ति जताना शुरू कर दिया है. आजतक ने जब इस प्रस्तावित लैंडफिल साइट की ज़मीन का दौरा किया तो पाया कि यहां कई ऐसी वजहें हैं जो निगम के सामने चुनौती बन कर खड़ी हैं.

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निगम के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगा यहां भूजल प्रदूषण को रोकना होगा. इस जमीन पर बारिश के कारण काफी पानी जमा है जो धीरे-धीरे ज़मीन में रिसता है. अब यदि यहां लैंडफिल साइट बनी उसका पानी यहां के ज़मीन में रिस-रिस कर उसे प्रदूषित करेगा, जिसका सीधा असर इस साइट के ठीक सामने बसी कॉलोनियों में रहने वाले लाखों लोगों पर पड़ेगा.

यमुना नदी से नजदीकी प्रस्तावित लैंडफिल साइट बनाने की दिशा में सबसे बड़ा रोड़ा साबित होगी. ये ज़मीन यमुना फ्लड प्लेन में आती है, जिसमें यमुना की बाढ़ के दौरान काफी पानी आता है. यदि यहां लैंडफिल साइट बनी तो पहले से ही प्रदूषित यमुना के लिए खतरा और बढ़ जाएगा.

प्रस्तावित लैंडफिल साइट के पास ही वन एवं वन्य जीव विभाग की जमीन है, जहां बड़ी संख्या में बांस, जामुन, शीशम, अर्जुन के पेड़ हैं जिनके खत्म होने की आशंका है. कुदरती वजहों के अलावा यहां के रहने वालों के पास प्रस्तावित लैंडफिल साइट का विरोध करने की एक और वजह है और वो है क्रिकेट. जी हां, इस इलाके में रहने वाले हजारों युवाओं के लिए ये ज़मीन खेल का एक बड़ा मैदान भी है, जहां वो क्रिकेट खेलने आते हैं. उनका कहना है कि यदि यहां लैंडफिल साइट बनी तो उनका खेल का मैदान छिन जाएगा और इन्हें क्रिकेट खेलने कई किलोमीटर दूर बुराड़ी या मुखर्जी नगर जाना पड़ेगा, क्योंकि उत्तर पूर्वी दिल्ली में इतना बड़ा खेल का मैदान और कहीं नही है.

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इन सब के अलावा यहां के स्थानीय सांसद भी प्रस्तावित लैंडफिल साइट के खिलाफ है और इनकी खिलाफत करना एमसीडी के बस की बात नही, क्योंकि ये सांसद उसी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं जिसकी निगम में सत्ता है. सांसद मनोज तिवारी के मुताबिक यमुना से उनका गहरा लगाव है और वो नही चाहते कि यहां लैंडफिल साइट बने. मनोज तिवारी के मुताबिक यहां लैंडफिल साइट बनने से यमुना में गंदगी जाएगी जो कोई नही चाहेगा. उन्होंने कहा कि वो निगम से बात कर के यहां प्रस्तावित लैंडफिल साइट को किसी और जगह ले जाने को कहेंगे.

 

 

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