
देश के आठ राज्यों की 10 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे गुरुवार को आए हैं. इनमें से जिस एक सीट के नतीजों पर पूरे देश की निगाह थी वो थी दिल्ली की राजौरी गार्डन सीट. ये सीट आप विधायक जरनैल सिंह के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी. गुरुवार को इस सीट पर जहां बीजेपी-अकाली गठबंधन के उम्मीदवार मनजिंदर सिंह सिरसा ने 14 हजार 652 मतों से जीत दर्ज की, वहीं आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार की जमानत तक नहीं बच पाई. दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और उनकी आम आदमी पार्टी के लिए ये महज एक सीट पर हार का मसला नहीं है बल्कि इस एक हार ने पार्टी और सरकार के लिए कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं.
1- मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की स्थिति इस हार से कमजोर होगी क्योंकि उनका अब वो करिश्मा नहीं रहा है जो दिल्ली विधानसभा चुनाव में था, यानी ब्रांड केजरीवाल को झटका लगा है. अरविंद के फैसलों पर अब तक पार्टी में दबे स्वर में आवाज उठती रही है लेकिन अब ये आवाजें मुखर हो सकती हैं. कवि और आप नेता कुमार विश्वास का ट्वीट भी कुछ ऐसा ही इशारा करता है. हार के बाद कुमार ने ट्वीट किया-पानी आंख में भरकर लाया जा सकता है/अब भी जलता शहर बचाया जा सकता है.
2- एमसीडी के चुनाव अगले हफ्ते होने हैं और उससे पहले आम आदमी पार्टी की स्थिति का अंदाजा उपचुनाव के नतीजे से लगाया जा सकता है. अगर ऐसे नतीजे रहे तो एमसीडी पर आप के कब्जे का प्लान फेल हो सकता है. कांग्रेस ने जिस तरह से वोट बटोरे हैं वो दिल्ली में उसके पुनरोद्धार के संकेत दे रहे हैं और ये आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किल बढ़ाने वाला है.
3- पार्टी गुजरात चुनाव की तैयारी कर रही है लेकिन उपचुनाव में हार बताती है कि उसकी दिल्ली की जमीन ही खिसक रही है क्योंकि पार्टी सिर्फ हारी नहीं है बल्कि बुरी तरह हारी है. उसका वोट प्रतिशत बहुत ही ज्यादा गिरा है और वो अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई है. महज दो साल की अवधि को देखते हुए ये नतीजे पार्टी के लिए चिंतनीय हैं.
4- विधानसभा में अब तक बीजेपी के तीन विधायक ही केजरीवाल के लिए मुश्किलें खड़ी करते रहे हैं लेकिन अब इनकी संख्या बढ़कर 4 हो गई है. आप के 21 विधायकों पर चुनाव आयोग से कार्रवाई की तलवार लटकी है. अगर वे अयोग्य साबित हुए और उपचुनाव में आप इऩ सीटों पर अपना प्रदर्शन बरकरार नहीं रख पाई तो पार्टी का भविष्य ही सवालों में आ जाएगा.
5- सिर्फ केजरीवाल ही नहीं बल्कि दिल्ली सरकार के कामकाज पर भी सवाल उठेंगे. चुनाव नतीजों से साफ है कि सरकार विपक्ष के अपने खिलाफ प्रचार का जवाब देने में नाकाम रही है और उसकी छवि जनता के बीच खराब हो रही है. केजरीवाल सरकार भले ही जनता के भले के लिए काम करने के कितने भी दावे करे लेकिन जनता उससे मुतमईन नहीं दिख रही.