
देश के वैज्ञानिक जिस मिशन के लिए पिछले कुछ साल से मेहनत कर रहे हैं और दिन-रात एक किए हुए हैं, वो आज पूरा होने जा रहा है. भारत का चंद्रयान-2 आज चांद की सतह पर लैंड करेगा. ना सिर्फ देश बल्कि पूरी दुनिया की नजर भारत के इस मिशन पर है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इसरो के सेंटर में मौजूद रहेंगे और ऐतिहासिक पल के साक्षी बनेंगे.
चांद पर उतरने को तैयार चंद्रयान-2, शुभकामनाएं देने के लिए यहां करें क्लिक
चंद्रयान-2 का मिशन सफल हो इसके लिए हर हिंदुस्तानी दुआ कर रहा है. हालांकि, ये पहला अवसर नहीं है कि जब भारत चांद पर पहुंच रहा है. इससे पहले चंद्रयान-1 भारत की तरफ से चांद पर पहुंच चुका है, लेकिन चंद्रयान-2 कुछ खास है. क्योंकि चंद्रयान-2 चांद के उस हिस्से पर जा रहा है, जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया.
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चंद्रयान-2 पहले से कितना अलग है, क्या काम करेगा. ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब आप यहां पर जान सकते हैं.
चंद्रयान 1 क्या था, कब गया और क्या काम किया?
- चंद्रयान -1 चांद पर भेजा गया भारत का पहला मिशन था. संस्कृ त और हिन्दीक में 'चन्द्रा' का अर्थ है चंद्रमा और 'यान' कहते हैं वाहन को यानी चन्द्रलमा पर भेजा गया अंतरिक्ष वाहन.
- चंद्रयान -1 भारत के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन PSLV-C II से 22 अक्टूंबर 2008 को श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से छोड़ा गया था.
- इस अंतरिक्ष यान ने चांद की 3400 से ज्याादा परिक्रमाएं कीं और यह 312 दिन अर्थात 29 अगस्त् तक काम करता रहा.
- चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी होने की पक्कीम पुष्टि की, यह खोज सबसे अलग थी. चंद्रयान-1 ने चांद के उत्तचरी ध्रुव क्षेत्र में बर्फ के रूप में पानी जमा होने की भी खोज की थी. इसने चांद की सतह पर मैग्निशियम, एल्युमिनियम और सिलिकॉन होने का भी पता लगाया, चंद्रमा का वैश्विक मानचित्र तैयार करना इस मिशन की एक और बड़ी उपलब्धि थी.
चंद्रयान 2 क्या है, पहले से कितना अलग है और क्या करेगा?
- चंद्रयान-2 असल में चंद्रयान-1 मिशन की ही अगली कड़ी है. चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं.
- चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर अपना 'विक्रम' मॉड्यूल उतारने की कोशिश करेगा और 6 पहियों वाले रोवर ''प्रज्ञान'' को चांद पर फिट कर देगा और इसके जरिए कई वैज्ञानिक परीक्षण किए जाएंगे.
- चंद्रयान-1 यह काम नहीं कर पाया था. चंद्रयान-1 का लिफ्ट ऑफ भार 1380 किलोग्राम था जबकि चंद्रयान-2 का भार 3850 किलोग्राम है.
- चंद्रयान-2 का मकसद चांद पर उतकर उसकी सतह के अध्ययन के लिए रोवर फिट करना है ताकि चंद्रयान-1 के वैज्ञानिक कार्यों का दायरा और बढ़ाया जा सके.
- ऑर्बिटर में चंद्रमा की सतह का मानचित्र बनाने और वहां के वायुमंडल (बाहरी वातावरण) के अध्ययन के लिए 8 वैज्ञानिक पे-लोड रखे गए हैं. लैंडर में चंद्रमा की सतह और उपसतह के परीक्षणों के लिए तीन वैज्ञानिक पे-लोड लगाए गये हैं.
- रोवर में दो पे-लोड हैं जिनसे हमें चंद्रमा की सतह के बारे और ज्यादा जानकारी मिल सकेगी. नासा में भी 1 अप्रत्यक्ष परीक्षण चंद्रयान-2 से किया जाएगा.