
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग की तैयारी पूरी कर चुका है और लॉन्चिंग की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है. चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग में बस कुछ ही घंटों का वक्त बाकी है लेकिन भारत ही नहीं पूरी दुनिया की नजरें इस पर टिकी हैं.
लगभग 44 मीटर लंबा 640 टन का जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क 3 (GSLV Mk III) एक सफल फिल्म के हीरो की तरह सीधा खड़ा है. रॉकेट में 3.8 टन का चंद्रयान अंतरिक्ष यान है. रॉकेट को 'बाहुबली' नाम दिया गया है.
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अपनी उड़ान के लगभग 16 मिनट बाद 375 करोड़ रुपये का जीएसएलवी-मार्क 3 रॉकेट 603 करोड़ रुपये के चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी पार्किंग में 170 गुणा 40400 किलीमीटर की कक्षा में रखेगा. चंद्रयान-2 में लैंडर-विक्रम और रोवर-प्रज्ञान चंद्रमा तक जाएंगे. लैंडर-विक्रम 6 सितंबर को चांद पर पहुंचेगा और उसके बाद प्रज्ञान रोवर प्रयोग शुरू करेगा.
IIT कानपुर ने तैयार किया 'लुनर रोवर'
दरअसल, चंद्रयान-2 भारत का दूसरा चंद्रमा मिशन है. इस मिशन की खासियत यह है कि पहली बार भारत चंद्रमा की उत्तरी सतह पर 'लुनर रोवर' उतारेगा. IIT कानपुर द्वारा निर्मित 'लुनर रोवर' यानी मानवरहित चंद्रयान को चंद्रमा पर भेजा जाएगा, जो चंद्रमा की सतह के कई रहस्यों से पर्दा उठाएगा. यह पहली बार है कि मानवरहित चंद्रयान भारत की ओर से चंद्रमा की उत्तरी सतह पर लैंड करेगा, जो पूरी दुनिया के लिए अभी अछूता है.
3 साल में तैयार हुआ 'लुनर रोवर'
यह चंद्रयान चंद्रमा से 3D इमेज इसरो को भेजेगा. यह पहला मौका है, जब चंद्रमा के उत्तरी हिस्से में किसी देश की ओर से कोई चंद्रयान उतारा जा रहा है. इसको लेकर पूरी दुनिया की निगाहें भारत पर टिकी हुई हैं. आईआईटी कानपुर द्वारा निर्मित 'लुनर रोवर' को तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद तैयार किया जा सका है. इसको तैयार करने में लगभग 50 लाख रुपये की लागत आई है. इस चंद्रयान की मुख्य खासियत यह है कि यह मोशन प्लैनिंग है. मोशन प्लैनिंग का मतलब है कि यह चंद्रयान चंद्रमा की सतह पर कैसे, कब और कहा जाएगा इसकी पूरी जानकारी.
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इस मॉडल में तीन अहम मॉड्यूल हैं. ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर. आईआईटी कानपुर ने इसके मोशन प्लैनिंग सिस्टम पर काम किया है. चंद्रयान-2 मिशन के तहत यह चंद्रयान चांद पर उतरते ही मोशन प्लैनिंग का काम शुरू कर देगा. इसके अलावा यान के संचालन में ज्यादा खर्च न हो इसके लिए भी आईआईटी ने काम किया है.