
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में कड़ेनार कैंप में आइटीबीपी के एक जवान मोसुद्दुल रहमान ने अपने ही साथी जवानों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दीं. घटना में छह जवानों की मौत हो गई और तीन जख्मी हो गए. सभी जवान इंडो तिब्बतन बॉर्डर पुलिस फोर्स (आइटीबीपी) की 45 बटालियन के हैं. हालांकि फायरिंग करने वाले जवान की भी मौत इस गोलीबारी में हो गई. बस्तर के आईजी सुंदरराज पी. ने फिलहाल अभी कोई भी कारण बताने से मना कर दिया. उन्होंने कहा जांच की जा रही है. कारणों का पता चलते ही वे मीडिया से उसे साझा करेंगे. लेकिन गृह मंत्री ताम्र ध्वज साहू ने बिना जांच रिपोर्ट यह साफ कर दिया है '' आपसी विवाद का होना इस घटना के पीछे का कारण हो सकता है.
किसी भी हालत में छुट्टियां न मिलना इस हादसे की वजह नहीं है क्योंकि जवानों के लिए छुट्टियां तय होती हैं. बाकी रिपोर्ट आने के बाद स्थिति और साफ हो जाएगी.'' उधर राज्य के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू कह रहे हैं, ''छुट्टियां न मिलना इस घटना की वजह नहीं है.'' हालांकि अभी जांच रिपोर्ट आनी बाकी है. लेकिन आइटीबीपी के एक अंदरूनी सूत्र ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया, ''एक साल से ज्यादा समय से उन्हें छुट्टी नहीं मिली थी. वे लगातार-लगातार छुट्टी की मांग कर रहे थे.
वह पिछले कई महीनों से परेशान था.'' उसी बटालियन के जवान ने भी इसी बात की पुष्टि करते हुए कहा, ''बटालियन में ऐसे और भी लोग हैं जिन्हें एक साल से ज्यादा समय से छुट्टी नहीं मिली है. तनावग्रस्त जवानों के बीच आपसी झड़पें और मारपीट होना तो यहां रोज की बात है.'' इतना ही नहीं उस जवान ने बताया कि गृहमंत्री बयानबाजी बंद कर जवानों की छुट्टियों की अर्जियां मंजूर करवाएं नहीं तो मुमकिन हैं और भी लोग उठाएं ऐसे कमद.''
पहले भी हो चुकी घटनाएं
-इसी साल मार्च में जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में भी ऐसी ही घटना हुई थी. यहां सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) की 187वीं बटालियन के कैंप में जवानों के बीच किसी बात को लेकर हुई बहस देखते ही देखते खूनी झड़प में बदल गई थी. एक जवान का पारा इतना चढ़ा कि उसने अपनी सर्विस राइफल से तीन साथियों की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी और बाद में खुद को भी गोली मार ली थी.
-इससे पहले जनवरी में जम्मू-कश्मीर के ही श्रीनगर में सीआरपीएफ के एक जवान ने अपने दो साथियों को गोली मारने के बाद खुद को भी गोली मार ली थी.
-छत्तीसगढ़ में दो साल पहले भी ऐसा हादसा हुआ था. यहां बीजापुर जिले में चिंतलनार इलाके में सीआरपीएफ की 168वीं बटालियन के एक जवान ने अपने साथियों पर गोलियां चला दी थीं. इस घटना में चार जवानों की मौत हो गई थी.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के सर्कुलर का क्या हुआ?
मई, 2015 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सेंटर आर्म्ड पुलिस फोर्सेज (सीएपीएफएस) को एक दिशानिर्देश जारी कहा था कि देश के दस लाख पैरामिलिट्री के जवानों के लिए रोजाना योगाभ्यास जरूरी किया जाए. सीएपीएफएस में सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्सेज (सीआरपीएफ), बॉर्डर सिक्यूरिटी फोर्सेज (बीएसएफ), सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्यूरिटी फोर्सेज (सीआइएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), नेशनल सिक्यूरिटी गार्ड (एनएसजी) और इंडो तिब्बतन बॉर्डर पुलिस फोर्स (आइटीबीपी) शामिल हैं. सीएपीएफएस की तरफ से यह दिशानिर्देश सभी फोर्सेज के डीजीस को जारी किए गए थे.
इन डीजीस को योगाभ्यास की रिपोर्ट भी मंत्रालय को भेजनी थी. छत्तीसगढ़, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) डी.एम.अवस्थी ने बताया इस तरह के निर्देश दिए गए थे. कुछ जगह योगाभ्यास करवाए भी जाते हैं. योग कैंप में जवानों को भेजा जाता है. लेकिन मुश्किल यह है कि एक साथ सबको भेजना संभव नहीं है. कई बार कई जवान ड्यूडी पर होते है तो कुछ छुट्टी पर.
जवानो को ट्रेनिंग देने के लिए क्या योग प्रशिक्षक नियुक्त किए गए हैं? इस पर उनका कहना था कि योग प्रशिक्षक तो नियुक्त नहीं किए गए हैं. लेकिन कैंपों में लोग जाते हैं. उन्होंने बताया कि ऐसी घटनाओं के पीछे की वजह तनाव ही ज्यादातर होता है. डीएम अवस्थी कहते हैं, ‘‘दो साल पहले जब सीआरपीएफ के एक जवान ने अपने साथी जवानों को गोली मार दी थी, तब जांच टीम में वे भी शामिल थे. उस वक्त बुनियादी तौर पर घर का तनाव या फिर टीम के बीच तनाव अहम वजह पाई गई थी. कई बार कंपनी कमांडर कुछ लोगों को ज्यादा तवज्जो देते हैं तो कुछ को कम.
कुछ लोगों की ड्यूटी लगातार लगाई जाती है. सीआरपीएफ की घटना के समय यह कारण निकल कर आया था. आत्महत्या के मामले भी आते रहते हैं. इन मामलों में अक्सर ऐसा पाया जाता है कि या तो जवान छुट्टी में जाने की तैयारी कर रहा होता है या फिर घर से छुट्टी पूरी कर आया होता है.
तनाव के बीच जी रहे जवान अपनी व्यथा किससे कहें?
इंडियन डिफेंस रिव्यू जर्नल में ‘इंडियन आर्मी ऐंड मैनेजमेंट ऑफ स्ट्रेस’ शीर्षक से अगस्त, 2014 में प्रकाशित लेख में सेना के बीच तनाव के कारणों पर हुए शोधों की एक समीक्षा रिपोर्ट जारी की गई. इसमे तनाव का मुख्य कारण अकेलानपन, परिवार से दूर रहना, टीम के बीच अतिअनुशासन और हाइरार्की का होना. कई बार घर में किसी संकट के वक्त न पहुंच पाना. खासतौर पर ऊंचाई पर या दूरस्थ इलाकों में तैनात जवानों के सामने अकेलेपन की समस्या सबसे ज्यादा होत है. नक्सली इलाकों या तनावग्रस्त इलाकों में हमेशा जान का खतरा उस पर परिवार से दूर रहने की मजबूरी मानसिक दबाव बढ़ा देती है.
इसे ‘प्रेशर कुकर इफेक्ट’ कहते हैं. कई बार यह सारे कारण मिलकर इतना दबाव बढ़ा देते हैं कि तनाव में आकर जवान आत्महत्या कर लेते हैं या फिर अपने ही साथियों पर गोलीबारी कर बैठते हैं. क्या तनाव से निपटने के लिए नियमित काउंसलिंग के लिए काउंसिलर नियुक्त किए गए हैं? डीजीपी डीएम अवस्थी कहते हैं, ‘‘काउंसलिर नियुक्त किए जाने चाहिए लेकिन छत्तीसगढ़ में सरकार की तरफ से तो काउंसिलर नियुक्त नहीं किए गए हैं. लेकिन शायद आइटीबीपी के पास काउसंलिर हैं. पर मैं निश्चित नहीं हूं.’’ हालांकि डीएम अवस्थी कहते हैं, कई बार हम निजी काउंसिलर की मदद जरूर लेते हैं.
आइटीबीपी में स्ट्रेस काउंसिलर हैं मगर...
आइटीबीपी के पर्सनल रिलेशन ऑफिसर (पीआरओ) विवेक पांडे के मुताबिक छत्तीसगढ़ में केवल आइटीबीपी ही एक ऐसी पैरामिलेट्री फोर्स है जहां स्ट्रेस काउंसिलर हैं. लेकिन क्या स्ट्रेस काउंसिलर की संख्या आइटीबीपी के जवानों की संख्या के मुकाबले काफी है? पांडे कहते हैं, ‘‘ छत्तीसगढ़ में करीब 12,000 आइटीबीपी के जवान तैनात हैं. तकरीबन 10-11 बटालियन हैं हर बटालियन में 1000-1200 जवान होते हैं. और हर बटालियन के लिए एक स्ट्रेस काउंसिलर नियुक्ति किया जाता है.’’ तनाव भरे माहौल में लगातार काम कर रहे जवानों के लिए स्ट्रेस काउंसिलर की यह संख्या काफी है?
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