
छत्तीसगढ़ में सरकारी शराब को लेकर आम लोगों और सरकारी महकमे के बीच तनातनी बढ़ गयी है. राज्य में महिलाओं और सैकड़ों सामाजिक संगठनों ने शराब के सरकारी धंधे को लेकर राज्य की बीजेपी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. गौरतलब है कि आम जनता द्वारा शराब का विरोध होने के बाद रमन सिंह सरकार ने एक अप्रैल से खुद ही शराब बेचने का फैसला लिया है. राज्य की लगभग 700 शराब दुकानों में से अब तक सैकड़ा भर दुकानें ही खुल पाई हैं. प्रदर्शनकारियों ने शेष दुकानों के शटर गिरा दिए हैं.
यहां हम आपको बताते चलें कि रायपुर के कई इलाकों में शराब दुकानों के सामने प्रदर्शनकारियों का हुजूम इकट्ठा हो गया है. जमकर नारेबाजी हो रही है. तो कहीं शराब दुकानों को बन्द करने के लिए सरकारी अफसरों और महिला संगठनो के बीच झड़प का नजारा भी देखने को मिल रहा है. एक अप्रैल से शराब के ठेके बन्द कर राज्य सरकार ने खुद शराब बेचने का फैसला लिया है. इस काम में आबकारी विभाग के अलावा दर्जनों दूसरे सरकारी विभागों के कर्मचारियों को शराब की खरीद और बिक्री का जायजा लेने के निर्देश दिए गए हैं. शराब दुकानों में करीब 20 हजार सेल्स मेन की नियुक्ति प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिये की गयी है. हालांकि सरकारी बंदोबस्त ध्वस्त हो गया है क्योंकि अधिकांश शराब दुकानों को प्रदर्शनकारियों ने खुलने ही नहीं दिया है. वहीं दुकानें खुल पाई हैं जहां प्रदर्शनकारी पुलिस की तुलना में कमजोर पड़ गए.
प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई अलग-अलग झड़पों में अब तक लगभग ढाई सौ लोगों के खिलाफ मामले दर्ज हो चुके हैं. इसमें सभी के ऊपर सरकारी काम में बाधा डालने और बगैर अनुमति के सार्वजनिक स्थानों में प्रदर्शन करने के तहत मामला दर्ज किया गया है. इनमें से दर्जन भर महिला संगठन भी शामिल हैं. महिलाएं महीने भर से शराब दुकानों के प्रचलन का विरोध कर रही है. शराब के सरकारी कारोबार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे संगठनों के साथ मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी कूद पड़ी है. कांग्रेस की दलील है कि बीजेपी सरकार राज्य की बड़ी आबादी को नशे में झोक रही है.
सरकार को शराब से होती है तगड़ी आमदनी
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में शराब की खरीद-बिक्री से सरकार को हर साल 4 हजार करोड़ की आमदनी होती है. इसके अलावा शराब ठेकेदार भी 4 से 5 हजार करोड़ तक सालाना कमाते हैं. अब तक राज्य में शराब के ठेके होते थे, लेकिन इस बार सरकार ने शराब माफियाओं के अरमानों पर पानी फेर दिया. सरकार की दलील है कि शराब की सहज उपलब्धता और गांव गांव में इसके अवैध कारोबार खत्म करने के लिए उसने खुद शराब बेचने का फैसला किया है. छत्तीसगढ़ के आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल के मुताबिक इस नीति को बनाने के पीछे सरकार का बहुत स्पष्ट उद्देश्य है. इस नीति से शराब की सहज उपलब्धता बंद हो जाएगी.
छत्तीसगढ़ में शराब का जबरदस्त चलन
छत्तीसगढ़ में शराब का जबरदस्त चलन है. राज्य के आदिवासी इलाकों में 5 लीटर तक शराब घर के भीतर बनाने की इजाजत आदिवासी समुदाय को मिली हुई है. कई इलाकों में शराब परोसना परंपरा की हिस्सा है. लिहाजा शराब को वहां सामाजिक मान्यता मिली हुई है. हालांकि शराब बंदी की मांग भी लंबे अरसे से चली आ रही है. इस बार इस मांग ने जोर पकड़ लिया है. राज्य भर में सरकारी दुकानों में शराब की बिक्री को लेकर आंदोलन खड़ा हो गया है. ऐसे में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच लगातार झड़पें भी हो रही है.