
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर बात की. शाम को ही मोदी पर्यावरण सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए फ्रांस रवाना हो गए. उन्होंने तमिलनाडु में आई बाढ़ का कारण जलवायु परिवर्तन को ही बताया. साथ ही तमिलनाडु में आई बाढ़ में मारे गए लोगों के परिजनों से सहानुभूति जताई. उन्होंने संकट की इस घड़ी में बचाव कार्य में लगे दलों और लोगों की भी सराहना की.
मोदी ने जलवायु परिवर्तन पर चिंता जताते हुए कहा कि अब पृथ्वी का तापमान अब बढ़ना नहीं चाहिए. यह हर किसी की जिम्मेदारी है. 14 दिसंबर को ऊर्जा संरक्षण दिवस है. मोदी ने पिछली बार की अपनी बात दोहराई कि पूनम की रात में एक घंटा बिजली बंद रखने से बहुत ऊर्जा बचाई जा सकती है.
फसलों के अवशेष जलाने को बताया गलत
पंजाब के जालंधर से लखविंदर सिंह ने पीएम से सवाल पूछा कि जो किसान अपनी फसलों के अवशेष जला रहे हैं उससे कैसे निपटा जाए. इसके जवाब में पीएम ने कहा कि किसानों को इससे होने वाले नुकसान का अंदाज नहीं था. उपाय क्या होते, इसका भी कोई प्रशिक्षण नहीं हुआ और न ही इसके कारण होने वाले दुष्प्रभावों के प्रति लोगों को जागरूक किया गया. अब जब इससे होने वाला नुकसान शहरों तक पहुंचने लगा तो यह सामने भी आया. मोदी ने बताया कि फसलों के अवशेषों के ठूंठ के यदि छोटे-छोटे टुकड़े कर दिए जाएं तो वो पशुओं के लिए ड्राय फ्रूट बन जाता है. फसलों के अवशेष जलाना पृथ्वी की चमड़ी जलाने के समान है. जैसे हमारी चमड़ी जल जाने पर जो पीड़ा होती, वही पीड़ा फसलों के अवशेष जलाने से होती है. मोदी ने बताया कि इसे गड्ढे में डालकर थोड़ा पानी डाल दिया जाए तो उससे अच्छा खाद बन जाता है.
केले के किसानों का भी दिया उदाहरण
मोदी ने एक किस्सा साझा किया. उन्होंने बताया कि एक बार केरल में केले की खेती करने वाले किसानों से मिलने का मौका मिला. किसानों ने उन्हें बताया कि केले के ठूंठ को साफ करने के लिए पहले प्रति हेक्टेयर 10-15 हजार रुपये हर महीने खर्च करने पड़ते थे. लेकिन उन्होंने कुछ दिन पहले एक प्रयोग किया. ठूंठ के पांच-छह इंच के टुकड़े कर जमीन में गाड़ दिए. इससे पता चला कि ठूंठ में इतना पानी होता है कि उससे आसपास के लगे पौधों को बाहर से 3 महीने तक पानी देने की जरूरत नहीं पड़ती.
विकलांग दिवस को बताया प्रेरणा का पावरहाउस
मोदी ने 3 दिसंबर को आने वाले विकलांग दिवस की बात भी की. उन्होंने कहा कि यदि हम हमारी दृष्टि बदलें, इन लोगों की ओर देखने का नजरिया बदलें तो ये लोग हमें प्रेरणा दे सकते हैं. हम छोटी सी मुसीबत पर रोने बैठ जाते हैं, लेकिन उनकी संकल्प शक्ति, संकट को सामर्थ्य में बदलने की ललक से हमें बहुत कुछ सीखने का मौका मिलता है.
सुनाई कश्मीर के आतंक पीड़ित की कहानी
मोदी ने कश्मीर के जावेद अहमद की कहानी भी सुनाई. 1996 में आतंकियों ने उन्हें गोली मार दी थी. इस हमले में उन्होंने अपनी किडनी गंवा दी, स्पाइन इंजरी हो गई, पैरों पर खड़े होने का सामर्थ्य चला गया, एक आंख चली गई. लेकिन जावेद ने हार नहीं मानी. आतंकवाद की चोट भी उन्हें चित नहीं कर पाई. इतना सब गंवाने के बाद भी न कोई आक्रोश, न रोष. इस संकट को भी उन्होंने संवेदना में बदल दिया. जीवन को समाजसेवा में लगा दिया. अब जावेद बच्चों को पढ़ाते हैं. सार्वजनिक स्कूलों में कैसे ढांचागत सुधार हो इसी दिशा में काम कर रहे हैं. वह एक मौन क्रांति कर रहे हैं. मोदी ने कहा कि हिंदुस्तान के हर कोने में जावेद जैसे प्रेरणाद्वीप जल रहे हैं. 3 दिसंबर ऐसे सभी लोगों से प्रेरणा पाकर उन्हें याद करने का अवसर है.
आशा वर्करों के काम की भी तारीफ की
मोदी ने आशा वर्करों के काम की भी खूब तारीफ की और उनसे प्रेरणा लेने की बात कही. मोदी ने कहा कि बिल गेट्स फाउंजेशन ने भारत में बहुत काम किया है. बिल और मेलिंडा गेट्स को जिन-जिन आशा वर्करों के साथ काम करने का मौका मिला, वे उनकी बड़ी तारीफ करते हैं. मोदी ने बताया कि पिछले दिनों ओडिशा सरकार ने एक आशा वर्कर का सम्मान भी किया था. बालासोर जिले के छोटे से गांव की आशा वर्कर जमुनामणि ने मलेरिया से लड़ने की ठानी. उसने ठान ली कि मलेरिया से किसी को मरने नहीं दूंगी. घर-घर जाकर मच्छरदानी लगवाना, पूरा गांव मच्छरों से बचकर रहे इसके लिए समर्पण. उसने मलेरिया से मुकाबला किया. ऐसी लाखों की जमुनामणि होंगी. ऐसे ही लोग हमारे देश की बड़ी ताकत बन जाते हैं.
युवा पीढ़ी को दी ये तीन ई-बुक देखने की सलाह
मोदी ने बताया कि mygov.in पर उन्होंने तीन ई-बुक रखी हैं. एक स्वच्छ भारत पर है, दूसरी सांसदों के आदर्श ग्राम पर और तीसरी हेल्थ सेक्टर पर है. मोदी ने कहा- मैं चाहता हूं कि नौजवान इन्हें देखें. कोई उत्साही नौजवान इन्हें लेकर किसी स्कूल में जाए और बच्चों को समझाए. मैं उन्हें राष्ट्र निर्माण में जुड़ने का न्योता देता हूं. क्योंकि सकारात्मक शक्ति ही सबसे बड़ी ऊर्जा होती है.