
कोविड-19 महामारी से जूझने के बाद रविवार को चेतन चौहान का निधन हो गया. अपने जमाने के प्रतिष्ठित बल्लेबाजों में शामिल रहे चेतन चौहान 12 साल (1969-1981) के अपने अंतरराष्ट्रीय करियर कै दौरान कई उम्दा पारियां खेलीं, लेकिन कभी शतक नहीं बना पाए. हालांकि उन्हें इसका कभी मलाल नहीं रहा.
फिरोजशाह कोटला मैदान पर दिल्ली का रणजी ट्रॉफी मेच देखने के दौरान एक बार उनसे यह पूछा गया कि 9 बार 80 और 97 रनों के बीच आउट होकर उन्हें कैसा लगा तो वह मुस्कुरा दिए.
उन्होंने गर्व के साथ कहा, ‘यह संभवत: किस्मत थी, लेकिन मैंने देखा है कि लोग शतक को लेकर मेरे से अधिक निराश हुए हैं. मुझे कोई मलाल नहीं है. मैं भारत के लिए 40 टेस्ट खेला और सुनील गावस्कर का सलामी जोड़दार रहा.’
जिस पीढ़ी ने चौहान को खेलते हुए नहीं देखा उन्हें बता दिया जाए कि वह हेलमेट पहनकर खेलने वाले शुरुआती भारतीय अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों में से एक थे और उनका मानना था कि इससे उनके खेल में मदद मिली.
नहीं रहे गावस्कर के ओपनिंग पार्टनर चेतन चौहान, शानदार थी सलामी बल्लेबाजी
बैकफुट के मजबूत खिलाड़ी चौहान बाउंसर का अच्छी तरह सामना करते थे और करियर का सबसे शानदार चरण 1977 से 1981 के बीच रहा जब वह शीर्ष क्रम में गावस्कर के साथ लगातार खेलते थे.
यूट्यूब देखने वालों के लिए हालांकि उनसे जुड़ा सबसे बड़ा पल वह रहा जब गावस्कर ने मेलबर्न में भारत की शानदार जीत के दौरान डेनिस लिली के खराब बर्ताव से नाखुश होकर उन्हें मैदान से बाहर आने को कहा.
पत्रकार अधिकतर चौहान से पूछते थे कि क्या गावस्कर आउट थे तो इस पर वह हंसने लग जाते थे. चौहान हालांकि अपने महान सलामी जोड़ीदार का काफी सम्मान करते थे. वह कहा करते थे, ‘गावस्कर बहुत बड़ा बल्लेबाज था. तुम बच्चों को कोई आइडिया नहीं है. हमारे से पूछो. 2000 रन बनाने में कितनी परेशानी होती है और उसके 10000 रन थे.’
चौहान को बेबाक राय देने के लिए जाना जाता था. वह किसी भी मुद्दे पर अपना पक्ष रखने से पीछे नहीं हटते थे. एक बार उन्होंने कहा, ‘बहुत बेकार खिलाड़ी भी 70 और 80 के दशक में भारत के लिए खेल गए.’
चेतन चौहान को याद कर बोले गावस्कर- पार्टनर नहीं रहा, कैसे मुस्कुरा सकता हूं
चौहान को उनके मजाकिया स्वभाव के लिए जाना जाता था और दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (DDCA) से उनके जुड़े रहने के दौरान ऐसे कई किस्से हैं जो लोग एक-दूसरे को सुनाकर उनके मेलजोल वाले स्वभाव के बारे में बताते हैं.
चौहान के साथ हालांकि सिर्फ मजाक नहीं जुड़ा था. वह क्रिकेट से जुड़े रहने के दौरान काफी गंभीर रहे और भारतीय क्रिकेट बोर्ड की सबसे बदनाम राज्य इकाई में से एक दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) को चलाया.
उन्हें इस दौरान वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर जैसे सुपरस्टार खिलाड़ियों के साथ काम करना पड़ा और उन्हें इसमें अधिक परेशानी नहीं हुई. राजनिति और संसद में सांसद के रूप में बिताए समय ने चौहान को धैर्यवान बनाया. फिरोजशाह कोटला को हालांकि हमेशा इस अनुभवी प्रशासक की कमी खलेगी.