
उगते सूर्य को अर्घ्य देने की रीति तो कई व्रतों और त्योहारों में है. लेकिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा आमतौर पर केवल छठ व्रत में है. धर्म के साथ-साथ विज्ञान से भी जुड़ा है छठ व्रत और पूजा का रिश्ता. कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी को क्यों देते हैं ढलते सूर्य को अर्घ्य.
- सुबह, दोपहर और शाम तीन समय सूर्य देव विशेष रूप से प्रभावी होते हैं
- सुबह के वक्त सूर्य की आराधना से सेहत बेहतर होती है
- दोपहर में सूर्य की आराधना से नाम और यश बढ़ता है
- शाम के समय सूर्य की आराधना से जीवन में संपन्नता आती है
- शाम के समय सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं
- इसलिए प्रत्यूषा को अर्घ्य देना तुरंत लाभ देता है
- जो डूबते सूर्य की उपासना करते हैं ,वो उगते सूर्य की उपासना भी जरूर करें
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा इंसानी जिंदगी हर तरह की परेशानी दूर करने की शक्ति रखती है. फिर समस्या सेहत से जुड़ी हो या निजी जिंदगी से. तो आइए देखते हैं कि ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर आप कौन –कौन सी मुसीबतों से छुटकारा पा सकते हैं.
किन लोगों को अस्त होते सूर्य को जरूर अर्घ्य देना चाहिए?
- जो लोग बिना कारण मुकदमे में फंस गए हों
- जिन लोगों का कोई काम सरकारी विभाग में अटका हो
- जिन लोगों की आंखों की रौशनी घट रही हो
- जिन लोगों को पेट की समस्या लगातार बनी रहती हो
- जो विद्यार्थी बार-बार परीक्षा में असफल हो रहे हों
छठ मैया की महिमा
गौरतलब है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी की तिथि तक भगवान सूर्यदेव की अटल आस्था का पर्व छठ पूजा मनाया जाता है. नहाय खाय के साथ ही लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत हो जाती है. चार दिन तक चलने वाले इस आस्था के महापर्व को मन्नतों का पर्व भी कहा जाता है. इसके महत्व का इसी बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इसमें किसी गलती के लिए कोई जगह नहीं होती. इसलिए शुद्धता और सफाई के साथ तन और मन से भी इस पर्व में जबरदस्त शुद्धता का ख्याल रखा जाता है.