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अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा क्यों है, आखिर इसे करने से क्या लाभ हो सकते हैं?

उगते सूर्य को अर्घ्य देने की रीति तो कई व्रतों और त्योहारों में है. लेकिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा आमतौर पर केवल छठ व्रत में है. धर्म के साथ-साथ विज्ञान से भी जुड़ा है छठ व्रत और पूजा का रिश्ता.

जानें छठ का अंतिम दिन का महत्व जानें छठ का अंतिम दिन का महत्व
दीपिका शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 17 नवंबर 2015,
  • अपडेटेड 6:36 PM IST

उगते सूर्य को अर्घ्य देने की रीति तो कई व्रतों और त्योहारों में है. लेकिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा आमतौर पर केवल छठ व्रत में है. धर्म के साथ-साथ विज्ञान से भी जुड़ा है छठ व्रत और पूजा का रिश्ता. कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी को क्यों देते हैं ढलते सूर्य को अर्घ्य.

- सुबह, दोपहर और शाम तीन समय सूर्य देव विशेष रूप से प्रभावी होते हैं
- सुबह के वक्त सूर्य की आराधना से सेहत बेहतर होती है
- दोपहर में सूर्य की आराधना से नाम और यश बढ़ता है
- शाम के समय सूर्य की आराधना से जीवन में संपन्नता आती है
- शाम के समय सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं
- इसलिए प्रत्यूषा को अर्घ्य देना तुरंत लाभ देता है
- जो डूबते सूर्य की उपासना करते हैं ,वो उगते सूर्य की उपासना भी जरूर करें

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ज्योतिष के जानकारों की मानें तो अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा इंसानी जिंदगी हर तरह की परेशानी दूर करने की शक्ति रखती है. फिर समस्या सेहत से जुड़ी हो या निजी जिंदगी से. तो आइए देखते हैं कि ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर आप कौन –कौन सी मुसीबतों से छुटकारा पा सकते हैं.

किन लोगों को अस्त होते सूर्य को जरूर अर्घ्य देना चाहिए?
- जो लोग बिना कारण मुकदमे में फंस गए हों
- जिन लोगों का कोई काम सरकारी विभाग में अटका हो
- जिन लोगों की आंखों की रौशनी घट रही हो
- जिन लोगों को पेट की समस्या लगातार बनी रहती हो
- जो विद्यार्थी बार-बार परीक्षा में असफल हो रहे हों

समापन के दिन छठ का पावन व्रत और भी प्रभावशाली हो जाता है. जब श्रद्धा और भक्ति से ओत –प्रोत व्रती. उगते सूर्य को जल देते हैं. मान्यता है कि छठ व्रत की सुबह सूर्य को अर्घ्य देने से मन की हर कामना पूरी होती है.

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छठ का अंतिम दिन क्यों है इतना महत्व?
- छठ के अंतिम दिन सूर्य को अरुण वेला में अर्घ्य दिया जाता है
- यह अर्घ्य सूर्य की पत्नी "ऊषा" को दिया जाता है
- ये अर्घ्य देने के साथ ही छठ पर्व का समापन हो जाता है
- इस अर्घ्य के बाद महिलाएं जल पीकर और प्रसाद खाकर व्रत खोलती हैं
- छठ का केवल अंतिम अर्घ्य देने से भी पूरी होती है मनोकामना

चार दिनों का होता है छठ पर्व और हर दिन का अपना अलग महत्व है. लेकिन सबसे ज्यादा मायने रखता है छठ व्रत का समापन. इस खास दिन क्या खास नियम और सावधानियां बरतें जिससे आपका ये व्रत और भी लाभकारी हो सके.

छठ व्रत के समापन के नियम और सावधानियां क्या हैं?
- छठ व्रत का समापन नींबू पानी पीकर ही करें
- व्रत के समापन के तुरंत बाद अनाज और भारी खाना न खाएं
- अंतिम अर्घ्य के बाद सभी लोगों में प्रसाद जरूर बांटें
- नदी के जल को गंदा न करें , साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखें

छठ का पर्व सबके लिए कल्याणकारी है लेकिन हर किसी के लिए ये व्रत रख पाना मुमकिन नहीं हो पाता लेकिन कुछ ऐसे उपाय हैं जिनके जरिए आप बिना व्रत रखे ही पा सकते हैं छठ व्रत का पूरा लाभ.

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बिना व्रत रखे कैसे पाएं सूर्य की विशेष कृपा?
- छठ पर्व के दौरान चारों दिन पूरी सफाई और सात्विकता बरतें
- किसी छठ व्रतधारी की सेवा और सहायता करें
- गुड़ और आटे की विशेष मिठाई 'ठेकुवा' जरूर बनाएं
- फिर इसे गरीबों और बच्चों में बांटें
- छठ के दोनों ही अर्घ्य जरूर दें और सूर्य देव से कृपा की प्रार्थना करें
- छठ का व्रत रखने वाले लोगों के चरण छूकर आशीर्वाद जरूर लें

ज्योतिष के जानकारों की मानें तो अगर सही नियम और सच्ची श्रद्धा से कार्तिक की छठ का व्रत रखा जाए तो परिणाम भी चमत्कारी आते हैं. धन, ऐश्वर्य और आरोग्य बरसाने वाला है छठ का ये महाकल्याणकारी व्रत. तो आप भी छठ पर्व पर सूर्य देव का आशीर्वाद जरूर लें. आपकी किस्मत भी संवर जाएगी.

ज्योतिष के जानकारों की मानें तो छठ के अंतिम दिन का अर्घ्य आपकी अलग-अलग समस्याओं के समाधान के लिए सबसे उत्तम है. इस दिन हर समस्या के समाधान के लिए सूर्य को अलग-अलग तरीकों से अर्घ्य देने का नियम है.

अर्घ्य से कैसे पूरी होंगी मनोकामनाएं?
शिक्षा और एकाग्रता के लिए - जल में नीला या हरा रंग मिलाकर अर्घ्य दें
सेहत और ऊर्जा के लिए - जल में रोली और लाल पुष्प मिलाकर अर्घ्य दें
राजकीय सेवा के लिए - जल में लाल चन्दन मिलाकर अर्घ्य दें
शीघ्र विवाह और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए - हल्दी मिलाकर दें अर्घ्य
जीवन की हर दिशा में लाभ के लिए - सादा जल अर्पित करें
पितर शांति और बाधा के निवारण के लिए - तिल और अक्षत मिलाकर अर्घ्य दें

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