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छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस के अरमानों पर बीजेपी ने फेरा पानी

छत्तीसगढ़ विधान सभा में दो दिनों से बीजेपी और कांग्रेस के बीच जमकर रस्साकसी चल रही है. मुख्यमंत्री रमन सिंह के तीसरे कार्यकाल की यह अंतिम बैठके है. पांच दिनों तक चलने वाले इस सत्र के दो दिन बीत चुके हैं.

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रणविजय सिंह/सुनील नामदेव
  • नई दिल्ली,
  • 03 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 9:45 PM IST

छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस के कड़े तेवरों को ठंडा करने के लिए सत्ताधारी बीजेपी ने ऐसा राग छेड़ा कि सदन में कांग्रेस की बोलती बंद हो गयी. बीजेपी ने NSUI के राष्ट्रीय अध्यक्ष फैरोज़ खान पर लगे यौन शोषण के आरोपों की जांच पुलिस को सौंपने की मांग की. बीजेपी ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि AICC के बजाए इस मामले को उसे पुलिस को सौंपा जाना था. बीजेपी के इस ट्रम्प कार्ड से सदन में शोरगुल कर रहे कांग्रेसी खेमे में अचानक शांति छा गयी.

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छत्तीसगढ़ विधान सभा में दो दिनों से बीजेपी और कांग्रेस के बीच जमकर रस्साकसी चल रही है. मुख्यमंत्री रमन सिंह के तीसरे कार्यकाल की यह अंतिम बैठक है. पांच दिनों तक चलने वाले इस सत्र के दो दिन बीत चुके हैं. दोनों ही दिन कांग्रेस के नाम रहे. कांग्रेस ने सदन के अंदर और बाहर बीजेपी पर जमकर हमला बोला. कभी पार्टी के घोषणा पत्र में किए गए वायदों को पूरा न करने को लेकर उसकी घेराबंदी की. तो कभी किसानों, मजदूरों, सरकारी कर्मचारियों की समस्याओं के निराकरण ना होने के साथ साथ भ्रष्टाचार के मामलों में पर्दा डालने को लेकर सरकार की बखियां उधेड़ी.

कांग्रेस के तेवरों से दोनों दिन बीजेपी सदन में अपने लिए सुरक्षित ठिकाने खोजते रही. इस बीच उसने NSUI के राष्ट्रीय अध्यक्ष फैरोज खान पर लगे यौन शोषण के आरोपों का मुद्दा सदन में उछाल दिया. बीजेपी ने मांग की है कि छत्तीसगढ़ के भिलाई की जिस पीड़ित महिला नेता ने अपनी आपबीती AICC को बतौर शिकायत सौंपी है, उसे अब पुलिस को भेजा जाना चाहिए. ताकि कांग्रेसियों का असली चेहरा बेनकाब हो सके. इस मामले के उछलते ही कांग्रेसी सकते में आ गए.

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बीजेपी विधायक देवजी भाई पटेल ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वो यौन शोषण के इस मामले को रफा दफा करने में जुटी हुई है. इसके चलते छत्तीसगढ़ की शोषित बेटी को न्याय नहीं मिल पा रहा है. देवजी भाई पटेल ने मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग को लेकर सदन का ध्यान खींचा. उधर पार्टी का बचाव करते हुए नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंह देव ने कहा कि AICC बेहद गंभीरता के साथ मामले की जांच कर रही है और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही भी होगी. सदन से बाहर निकलने के बाद उन्होंने आज तक से कहा कि विधान सभा अध्यक्ष ने इस मामले में उनके विरोधियों को कोई व्यवस्था नहीं दी.

दरअसल छत्तीसगढ़ से NSUI की प्रदेश प्रतिनिधि ने अपने राष्ट्रिय अध्यक्ष पर उसके यौन शोषण का आरोप लगाया था. इस पीड़ित महिला नेत्री ने इन आरोपों के साथ कुछ सबूत भी AICC को सौंपे थे. पीड़ित लड़की ने यह भी कहा था कि यदि पार्टी फोरम से उसे न्याय नहीं मिला तो वो पुलिस की शरण में जाएगी.

इस शिकायत के बाद AICC ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यी कमेटी भी गठित की. शिकायत हुए महीना भर गुजर चुका है  लेकिन अभी तक इस मामले की जांच पूरी नहीं हो पाई है. लिहाजा जांच में लेट लतीफी का आरोप लगा कर बीजेपी ने सदन के भीतर कांग्रेस को घेर लिया.  

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छत्तीसगढ़ विधान सभा का सत्र खत्म होने में अब मात्र दो दिन ही शेष बचे हैं. इन दो दिनों में कांग्रेस ने बीजेपी से पूरे पंद्रह सालों का हिसाब-किताब करने के लिए जोर लगाया हुआ है. विधान सभा का नया सत्र अब नयी सरकार के गठन के बाद ही बुलाया जाएगा. लिहाजा इस विधान सभा सत्र में बीजेपी पर हमला तेज करने के लिए कांग्रेस रोजाना नयी रणनीति पर काम कर रही है. लेकिन बीजेपी के यौन शोषण के मुद्दे के उछाल देने से कांग्रेस के अरमानों पर पानी फिरता नजर आ रहा है.

कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा शिकायती पत्र

वहीं, छत्तीसगढ़ विधानसभा के पहले दिन की कार्रवाई खत्म होने के बाद देर शाम कांग्रेस ने एक शिकायती पत्र विधान सभा सचिवालय को सौंपा. इस पत्र में विधान सभा अध्यक्ष से मांग की गई है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने के चलते विधायक अमित जोगी आर.के.राय और विधायक सियाराम कौशिक की विधान सभा सदस्यता खत्म की जाए. कांग्रेस ने इसके लिए दलबदल कानून का हवाला भी दिया.

बता दें, इन तीनों विधायकों ने करीब दो साल पहले कांग्रेस का साथ छोड़ छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का दामन थाम लिया है. अजीत जोगी के खेमे में जाने के बाद तीनों ही विधायक कांग्रेस पर हमला करने से पीछे नहीं रहते. वे अक्सर अपने बयानों से कांग्रेस के तमाम नेताओं की पोल खोलने का काम करते हैं. इस वजह से कांग्रेस ने इनकी विधायकी खत्म करने के लिए विधान सभा अध्यक्ष को पत्र सौपा है. लेकिन कांग्रेस का ये कदम कारगर नजर नहीं आ रहा है, क्योंकि विधान सभा की कार्रवाई अनिश्चितकाल के लिए ख़त्म होने में महज दो दिन ही बांकी है. लिहाजा माना जा रहा है कि कांग्रेस से निलंबित चल रहे तीनों ही विधायक अपना कार्यकाल पूरा करेंगे.

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