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छत्तीसगढ़: 16 पर्सेंट वोट वाला सतनामी समाज कांग्रेस के साथ, BJP को झटका

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में पहले चरण के मतदान से पहले सतनामी समाज का कांग्रेस के पक्ष में समर्थन करने से अजीत जोगी और बीजेपी दोनों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. प्रदेश में करीब 16 फीसदी सतनामी समाज को वोट बैंक प्रदेश के राजनीति में नया गुल खिला सकता है.

सतनामी समाज के गुरु बलदास, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल, पीएल पुनिया सतनामी समाज के गुरु बलदास, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल, पीएल पुनिया
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 3:03 PM IST

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले दौर की वोटिंग से चंद दिन पहले सतनामी समाज के गुरु बलदास ने अपने बेटे खुशवंत साहब के साथ कांग्रेस का दामन थाम लिया है. यह बीजेपी के लिए झटका माना जा रहा है. 

गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में वोटिंग से ऐन पहले गुरू बालदास ने सतनाम सेना नाम की पार्टी का गठन किया था और दस अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. माना जाता है कि इससे कांग्रेस को इन सीटों पर बेहद नुकसान उठाना पड़ा था. त्रिकोणीय हालात के बीच बीजेपी का फायदा मिला था. बीजेपी ने दस में से नौ सीटों पर जीत दर्ज की थी.

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प्रदेश में सतनामी समाज का एक बड़ा वोट बैंक है. कुल वोटों में इस समाज की करीब 16 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. यही वजह है कि सियासी पार्टियां उन्हें अपने साथ जोड़ने की हरसंभव कोशिश में रहती हैं. जून 2017 में गुरू बालदास ने छत्तीसगढ़ प्रवास पर पहुंचे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि बालदास का बीजेपी प्रवेश हो सकता है.

सतनामी समाज ने इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के संग खड़े होने के बजाय कांग्रेस के खेमे में जाने को बड़े सियासी घटनाक्रम के तौर पर देखा जा रहा है. सतनामी समाज के गुरु बलदास ने कहते हैं कि बीजेपी ने समाज के लोगों का सम्मान नहीं किया, इसलिए उन्होंने कांग्रेस पार्टी जॉइन की है. गुरु बलदास की कांग्रेस में एंट्री के बाद पार्टी छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में उलटफेर करते हुए अहम चुनाव में जीत की उम्मीद कर रही है. दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस में पहले से ही सतनामी समाज के एक नेता रुद्र गुरु मौजूद हैं.

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छत्तीसगढ़ में 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कांग्रेस से दस सीटें ज्यादा मिली थीं. लेकिन वोट शेयर में बीजेपी 0.77 फीसदी ही कांग्रेस से ज्यादा थी. ऐसे में सतनामी समाज का कांग्रेस के समर्थन में ऐलान से 15 साल के सत्ता के वनवास खत्म होने की उम्मीद नजर आ रही है.

दरअसल, छत्तीसगढ़ में जाति का फैक्टर भी अहम है. मायावती के साथ आने से जोगी की जनता कांग्रेस को उम्मीद है कि दलित मतदाताओं को वोट एकमुश्त उन्हें मिलेंगे. खासकर सतनामी समाज कहा जिससे जोगी आते हैं. ऐसे में कांग्रेस ने सतनामी समाज को अपने साथ जोड़कर अजीत जोगी और बसपा गठबंधन को तगड़ा झटका दिया है.

वोट बैंक के तौर पर सतनामी समाज की छत्तीसगढ़ में बड़ी पकड़ है. प्रदेश की 14 विधान सभा सीटों पर 20 से 35 प्रतिशत वोट इनके हैं. पिछले चुनाव में दलितों को लिए आरक्षित 10 विधानसभा सीटों में से 9 सीटें बीजेपी ने जीती थी और एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. सतनामी समाज का कांग्रेस के साथ आने से चौथी बार बीजेपी के सत्ता में आने के सपने पर पानी फिर सकता है.

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