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छत्तीसगढ़: मंत्रालय बांटने में परेशान हुए कांग्रेसी CM भूपेश सिंह बघेल, PM मोदी को लिखा खत

Chhattisgarh Chief Minister Bhupesh Baghel wrote a letter to Prime Minister Narendra Modi छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर सूबे में मंत्रियों की संख्या में इजाफा करने की मांग की है. उन्होंने इसके लिए राज्य की भौगोलिक स्थिति और क्षेत्रफल का हवाला देते हुए कुल विधायकों की संख्या के 15 फीसदी की बजाए 20 फीसदी मंत्री पद किए जाने की मांग की है.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (ट्विटर फोटो- @bhupeshbaghel) छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (ट्विटर फोटो- @bhupeshbaghel)
सुनील नामदेव
  • रायपुर,
  • 29 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 5:58 PM IST

छत्तीसगढ़ में मंत्री बनने को लेकर कांग्रेस के भीतर घमासान जारी है. वरिष्ठ विधायकों को मंत्री पद देने से इंकार करने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मुसीबत बढ़ती जा रही है. पार्टी के भीतर आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे नेताओं का दबाव बन गया है, जिन्हें मंत्री पद से नवाजा नहीं गया है. लिहाजा ऐसे नेताओं को संतुष्ट करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर मंत्रियों की संख्या में इजाफा करने की मांग की है. उन्होंने इसके लिए राज्य की भौगोलिक स्थिति और क्षेत्रफल का हवाला देते हुए कुल विधायकों की संख्या के 15 फीसदी की बजाए 20 फीसदी मंत्री पद किए जाने की मांग की है.

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दरअसल, भूपेश बघेल के मंत्रिमंडल में वरिष्ठ विधायक व पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा, अमितेश शुक्ला और धनेन्द्र साहू को जगह नहीं मिल पाई है. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मोतीलाल वोरा के विधायक बेटे अरुण वोरा भी मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिलने से नाराज हैं. यही हाल अनुसूचित जाति और जनजाति के कई नेताओं का भी है. पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष अमरजीत भगत भी मंत्री बनने की जोड़तोड़ में लगे रहे, लेकिन उन्हें मायूसी हाथ लगी. वो तीसरी बार विधायक बने हैं, जबकि आठ बार के विधायक और पूर्व मंत्री रामपुकार सिंह को भी मायूसी हाथ लगी है. मंत्री नहीं बनने से वो इतना नाराज हुए कि शपथ ग्रहण स्थल से आधा अधूरा कार्यक्रम छोड़ वापस लौट गए थे. बस्तर से आदिवासी नेता और पूर्व मंत्री मनोज मंडावी भी मंत्री नहीं बनने से असंतुष्ट हैं.

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सूबे के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी को भेजे गए खत में कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 164 (1-क) में किसी राज्य में मंत्री परिषद में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी. इस प्रावधान के अनुसार छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या 13 से अधिक नहीं हो सकती है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य का क्षेत्रफल 1.35 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक है और यह राष्ट्र के कुल भूभाग का 4.4 प्रतिशत है. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य का क्षेत्रफल तमिलनाडु, तेलंगाना, बिहार और पश्चिम बंगाल से भी अधिक है.

छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति की 12 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या लगभग 45 प्रतिशत है. इसको ध्यान में रखते हुए नए राज्य में भौगोलिक क्षेत्रफल को ध्यान में रखते हुए शासन-प्रशासन के सुचारू संचालन के लिए मंत्री परिषद के सदस्यों की संख्या में वृद्धि किया जाना आवश्यक है. मुख्यमंत्री बघेल ने इन सभी तथ्यों के आधार पर छत्तीसगढ़ राज्य में मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या 15 प्रतिशत के स्थान 20 प्रतिशत किए जाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 164 (1-क) के प्रावधान में संशोधन के लिए समुचित पहल करने का अनुरोध प्रधानमंत्री से किया है.

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असंतुष्ट नेताओं को मनाने में जुटा कांग्रेस आलाकमान

वहीं, कांग्रेस पार्टी के भीतर मचे घमासान को शांत करने के लिए प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया जोरशोर से लगे हुए है. उन्होंने मंत्रियों के तमाम दावेदारों को अनुशासन का डंडा दिखाते हुए पार्टी फोरम में ही अपनी बात रखने के निर्देश दिए हैं. असंतुष्ट नेताओं को जल्द ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाए जाने का भरोसा दिलाया गया है.

कांग्रेस ने रणनीतिक तौर पर मंत्रिमंडल में एक स्थान रिक्त रखा है. पार्टी तमाम नेताओं को यह संदेश दे रही है कि लोकसभा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विधायक को मंत्री बनाया जाएगा. इसके लिए भी यह स्थान रिक्त रखा गया है. पार्टी को इस बात का अंदेशा है कि मंत्री नहीं बनाने से फैला असंतोष कहीं लोकसभा चुनाव में उस पर भारी न पड़ जाए. इसके चलते असंतुष्ट नेताओं को मनाने के लिए पार्टी आलाकमान को कड़ी मशक्क्त करनी पड़ रही है.

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