
छत्तीसगढ़ की सत्ता में कांग्रेस 15 साल के बाद सत्ता में वापसी की है. सूबे में सत्ता की कमान भूपेश बघेल के हाथों में सौंपी गई है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को अपनी कैबिनेट गठन किया. राज्यपाल ने 9 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई. जबकि दो मंत्रियों को पहले ही शपथ दिलाई जा चुकी है. इस तरह सीएम समेत मंत्रिमंडल में 12 सदस्य हो गए है. हालांकि एक मंत्री की जगह अभी भी खाली है, जिसे 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद भरा जाएगा.
माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल कैबिनेट में एक जगह खाली रखकर बड़ा दांव चला है. इसके मुताबिक सूबे में जो भी विधायक 2019 के लोकसभा चुनाव में सबसे बेहतर प्रदर्शन करेगा, उसे मंत्री पद के तोहफे से नवाजा जाएगा. इसी के मद्देनजर सूबे की नई कांग्रेस सरकार में अभी 11 मंत्री बनाए गए हैं. जबकि नियम के मुताबिक मुख्यमंत्री के अलावा अधिकतम 12 मंत्री बनाए बनाए जा सकते हैं.
बता दें कि सूबे में कांग्रेस के कई नेता मंत्री पद की दौड़ में शामिल थे, लेकिन मंगलवार को रविंद्र चौबे, मोहम्मद अकबर, प्रेमसाय सिंह, कवासी लखमा, शिव डहरिया, अनिला भेड़िया, जयसिंह अग्रवाल, रुद्र गुरू और उमेश पटेल को मंत्री पद के शपथ दिलाई है. जबकि टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू बतौर मंत्री मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ पहले ही शपथ ले चुके हैं.
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 67 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई है. ऐसे में कई कांग्रेसी विधायक मंत्री बनने की कोशिश में जुटे थे, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कैबिनेट का गठन किया है. इनमें जातीय समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया है. इसके बावजूद एक जगह अभी खाली रखी गई है. इसके लिए 2019 के फैसले के बाद निर्णय किया जाएगा. हालांकि, इसके लिए विधायकों को लोकसभा चुनावों में अपनी ताकत लगानी होगी, उसके बाद ही वे मंत्री बन सकेंगे.