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इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए छत्तीसगढ़ में पुलिस के एक जवान ने अपना खून देकर नक्सली महिला की जान बचाई.
यह महिला पिछले सात सालों से नक्सलवादी गतिविधियों में शामिल रही है. नक्सली महिला बुरी तरह से मलेरिया और टाइफायड से पीड़ित थी. महिला की हालत गंभीर थी और उसे तुरंत खून की जरूरत थी, इसलिए छत्तीसगढ़ पुलिस के उपेंद्र ने खून देकर उसकी जान बचाई. नक्सली महिला की पहचान चिन्नी ओयामी के तौर पर हुई है, जो गंगलूर की रहने वाली है.
कुछ दिन पहले पुलिस को सूचना मिली थी कि कई बीमारियों पीड़ित एक नक्सली महिला शहर में इलाज के लिए भटक रही है. छानबीन के दौरान पुलिस ने उसे बीजापुर के अस्पताल में पाया. सही इलाज न मिलने के कारण महिला की हालत काफी गंभीर हो गई थी.
नक्सली महिला के भाई ने बताया कि 15 साल पहले सलवा जुडुम आंदोलन के दौरान महिला नक्सलियों के संपर्क में आई और नक्सली संगठन में शामिल हो गई. उसका काम नक्सलियों के लिए खाना बनाना और नाचना था ताकि ज्यादा से ज्यादा नौजवान संगठन में शामिल होने के लिए आयें. कुछ महीने पहले महिला को तेज बुखार हुआ और नक्सली उसे इलाज के लिए आंध्र प्रदेश ले आयें. उसकी तबियत सही न होने पर नक्सलियों ने उसे छोड़ दिया.
गांव वापस आने के बाद गिरफ्तार होने के डर से महिला ने खुद को घर में बंद रखा. इससे उसकी हालत और खराब हो गई. इसके बाद महिला के घर वालों ने उसे अस्पताल में भर्ती किया. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, " हम क्षेत्र में पुलिस की छवि बदलने की पूरी कोशिश कर रहे हैं."