
छत्तीसगढ़ के सुकमा के बुरकापाल में CRPF जवानों पर हुए नक्सली हमले की योजना अबूझमाड़ के कुतुल जंगलों में बनाई गई थी. इस दौरान आयोजित जनसभा में 13 से 19 अप्रैल तक कुतुल में लगभग 300 से अधिक नक्सलियों का जमावड़ा था. हमले का बकायदा अभ्यास भी हुआ. पुलिस हिरासत में एक ग्रामीण ने CRPF पर दो बार हुए नक्सली हमले के बारे में महत्वपूर्ण खुलासे किए हैं.
उसके मुताबिक नक्सलियों ने बुरकापाल टारगेट के दो मॉडल बनाकर हमले का अभ्यास किया था. इसका नेतृत्व नक्सलियों की सेंट्रल मिलेट्री कमीशन के प्रमुख माने जाने वाले एन केशव उर्फ़ गगन्ना ने किया था. उसके साथ केंद्रीय समिति के टी. तिरुपति उर्फ़ देव जी , आर. श्रीनिवास उर्फ़ रम्मना , गणेश उईके नक्सली बटालियन प्रमुख हिड़मा , सीतु , अर्जुन , राजमन सहित कई नक्सली नेता यहां मौजूद थे. इस प्रशिक्षण के दौरान नक्सलियों ने कैंप में अपने संगम सदस्यों तक की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया था ताकि कोई भी सुचना पुलिस तक ना पहुँच पाए. नतीजतन इस मार्ग पर स्थित आकाबेड़ा में आईटीबीपी का कैंप होने के बावजूद सुरक्षा बलों को इसकी भनक तक नहीं लग पाई .
सुकमा नक्सली हमले के बाद पुलिस हिरासत में मौजूद 11 ग्रामीणों से पूछताछ का दायरा काफी बढ़ गया है. ये सभी ग्रामीण लंबे अरसे से नक्सलियों की मदद कर रहे थे. यह भी पता पड़ा है कि सैकड़ों की तादात में ग्रामीणों ने अपने जनधन के खातों में नक्सली रकम जमा की थी. इस रकम को ईमानदारी के साथ ग्रामीणों ने नए नोटों में तब्दील कर वापिस नक्सलियों को लौटाया. बाद में नक्सलियों ने उस रकम से कुछ रूपये बतौर इनाम ग्रामीणों को दिए. इन ग्रामीणों के पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद उनकी निशानदेही पर आंध्रप्रदेश (तेलंगाना) की एसआईबी ने एक और नक्सली को हिरासत में लिया है. उसने भी पूछताछ के बाद बुरकापाल हमले की साजिश कुतुल में रचे जाने का खुलासा किया है.
गौरतलब है कि 24 अप्रैल को नक्सलियों ने बुरकापाल में CRPF की पार्टी पर हमला कर 24 जवानों की हत्या कर दी थी जबकि इस हमले में 6 जवान गंभीर रूप से घायल हुए थे. इसके सवा महीने पहले 11 मार्च को CRPF के एक और दस्ते पर भेज्जी इलाके में नक्सलियों ने हमला किया था. इस हमले में CRPF के 11 जवानों की शहादत हुई थी. जबकि 8 जवान बुरी तरह से जख्मी हुए थे. दोनों हमले के लिए कुतुल में ही आयोजित जनसभा में अंतिम फैसला लिया गया था.