
छत्तीसगढ़ में डॉक्टर सीवी रमन यूनिवर्सिटी की ओर से जारी की गई फर्जी डिग्रियों की जांच शुरू हो गई है. प्राथमिक जांच में ही यूनिवर्सिटी के कुलपति समेत तीन शीर्ष पदाधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर लिया गया है.
पुलिस ने इस निजी यूनिवर्सिटी के कुलपति संतोष चौबे, रजिस्ट्रार गौरव शुक्ला और उपरजिस्ट्रार नीरज कश्यप के अलावा पूर्व रजिस्ट्रार शैलेश पांडे के खिलाफ स्थानीय कोटा थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया. उन पर क्राइम नंबर 247/18 में प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 13 (1) , (डी), 13 (2) के तहत भी अपराध पंजीबद्ध किया गया है.
यह यूनिवर्सिटी बिलासपुर को कोटा में स्थित है और राज्यभर में इसकी कई शाखाएं हैं. उन पर आरोप है कि यूनिवर्सिटी ने राज्य में कई शाखाओं की ढेरों संकायों की फर्जी डिग्रियां मोटी रकम लेकर बांट दी, जब छात्रों ने नौकरी के लिए आवेदन किया तो संस्थानों ने उन्हें अयोग्य करार दे दिया. सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के कई राज्यों में यहां से पास आउट छात्रों ने नौकरी के लिए आवेदन जमा किया था.
सर्टिफिकेट कोर्स की जगह डिग्री
ऐसे ही एक मामले में गुजरात के उच्च शिक्षा सचिव ने छत्तीसगढ़ सरकार को पत्र लिखकर इस यूनिवर्सिटी की डिग्री को फर्जी करार देते हुए जांच करने के लिए कहा था.
शिकायत के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस ने पाया कि यूनिवर्सिटी ने आईसेक्ट सर्टिफिकेट कोर्स की जगह छात्रों को उसकी डिग्री बांट दी. बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक आरिफ शेख के मुताबिक जांच में पाया गया कि जो डिग्री एक और दो साल के कोर्स के बाद दी जानी चाहिए थी, वो महज 15 दिनों में दी गई.
उनके मुताबिक निजी यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक और विधिक सलाकारों की राय के बाद पुलिस ने सीवी रमन यूनिवर्सिटी के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. उन्होंने बताया कि बीए, बीकॉम, बीएससी, पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स और कंप्यूटर साइंस की डिग्रियों की भी पड़ताल जारी है.
सीवी रमन यूनिवर्सिटी के आईसेक्ट सेंटर से इलेक्ट्रॉनिक और कंप्यूटर साइंस समेत अलग-अलग विषयों की डिग्रियां जारी की गई थीं. पुलिस के मुताबिक सर्टिफिकेट कोर्स के स्थान पर डिग्री जारी करना छात्रों के साथ धोखाधड़ी है. पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि ऐसे छात्रों से कितनी रकम ली गई.
छात्र भी अपराध के दायरे में
पुलिस के मुताबिक फर्जी डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र भी अपराध के दायरे में हैं, लेकिन उनसे पूछताछ और बयान के बाद स्पष्ट हो पाएगा कि इस तरह का फर्जीवाड़ा क्या उनके संज्ञान में था. पुलिस ने यूनिवर्सिटी का रिकॉर्ड खंगालना शुरू कर दिया है.
अपराध दर्ज होने के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की एक टीम ने यूनिवर्सिटी के दफ्तर में दबिश दी थी, लेकिन पुलिस के आने से पहले ही तमाम आरोपी अपने कक्ष में ताला लगाकर फरार हो गए थे.