
छत्तीसगढ़ में फसल बीमा योजना के तहत काम करने वाली दो कंपनियों रिलायंस और इफ्को को सरकार ने कड़ी फटकार लगाई है. साथ ही चेतावनी दी है कि यदि 10 मई के भीतर उन्होंने किसानों को उनकी नुकसान हुई फसल के एवज में बीमे की रकम नहीं चुकाई तो कंपनी के अधिकारीयों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा.
दोनों ही कंपनियां करीब ढाई लाख किसानों की बीमे की रकम चुकाने के मामले में लंबे अरसे से आनाकानी कर रही हैं. यह रकम 353 करोड़ रुपये के करीब है. पहले दोनों ही कंपियों ने 31 मार्च 2018 के पहले भुगतान करने का वादा किया था. लेकिन निर्धारित अवधि के एक माह बाद भी वो अपने वादे पर खरा नहीं उतरी. नतीजतन किसानों ने इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया था.
बीमा कंपनियों के साथ कृषि विभाग के अधिकारियों की कई बार हुई बैठक के बाद कंपनियों ने फसल बीमा का आंशिक भुगतान का वादा किया था. किसानों की फसल नुकसान के प्रकरण तैयार कर प्रशासन ने उस पर अपनी मुहर लगाई. लेकिन 2 साल से भी ज्यादा वक्त से मामला भुगतान को लेकर अटका हुआ है. हालांकि अभी भी यह तय नहीं है कि ये कंपनियां 10 मई तक भुगतान कर पायेंगी. राज्य चीफ सेक्रेटरी ने दोनों कंपनियों के अफसरों को फटकार भी लगाई है.
छत्तीसगढ़ के सूखा प्रभावित किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के 353 करोड़ रुपये अब तक नहीं मिल पाए हैं. सरकार ने बीमा कंपनी रिलायंस और इफ्को को मार्च तक इस राशि के वितरण के लिए समय दिया था, लेकिन अप्रैल माह बीत गया और मई की शुरुवात भी हो गई, बावजूद इसके फसल बीमा की रकम किसानों के खातों में नहीं आई. किसान अगली मानसूनी फसल की तैयारी में जुट गए हैं. इस फसल के भी बीमे की तैयारी शुरू हो गई है.
इस बीच यह सवाल मुंह बाए खड़ा है कि जब पहले के ही फसल बीमा की रकम अब तक नहीं मिली तो नयी फसल का बीमा कराने से क्या मतलब. जबकि बीमा कंपनियां प्रीमियम की रकम सीधा किसानों के खातों से अपने खाते में ट्रांसफर करवा लेती हैं. इसके बाद शासन ने बीमा कंपनियों को अल्टीमेटम दिया है कि वो कानूनन फसल नुकसान की भरपाई करें. यह बात भी सामने आई है कि किसान बीमे की रकम के भुगतान में हुई लेट लतीफी पर ब्याज की मांग भी कर रहे हैं. फसल बीमा योजना के तहत 12 लाख 94 हजार 189 किसानों की फसलों का बीमा कराया गया है. इनमें से 2 लाख 50 हजार किसानों को धान के फसल के नुकसान का 353 करोड़ रुपये अब तक नहीं दिए गए हैं.
इनमें धान के अलावा सोयाबीन, अरहर, उड़द, मक्का आदि फसलों का भी बीमा हुआ है. राज्य के मुख्य सचिव अजय सिंह ने आला अफसरों के साथ बैठक की. इस बैठक में दोनों कंपनियों के अफसरों को भी बुलाया गया. 10 मई के पहले अनिवार्य रूप से पैसे वितरित करने के निर्देश दिए हैं.
बता दें कि दोनों बीमा कंपनियों ने 31 मार्च तक यह राशि बैंकों में जमा करने का आश्वासन दिया था. बावजूद इसके किसानों के खातों में फसल बीमा की राशि जमा नहीं हो पाई है. बताया जाता है कि रिलायंस कंपनी ने 6 जिलों में किसानों की फसल का बीमा किया था. जबकि राज्य के शेष 21 जिलों में इफ्को कंपनी ने फसल बीमा योजना के तहत कारोबार किया. उधर फसल बीमा के भुगतान से पीछे हटने का कोई ठोस कारण दोनों ही कंपियों ने नहीं बताया है. दोनों ही कंपनियों के अफसर इस मामले में मीडिया से भी बातचीत करने से कतरा रहे हैं. अब यह देखना होगा कि यह दोनों कंपनियां निर्धारित 10 मई तक फसल बीमा की रकम का भुगतान करती है या फिर कोई कानूनी दांव पेंच खेलकर बीमे की रकम देने से इंकार कर सकती है.