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BJP की वादाखिलाफी बताने के लिए गुजरात जाएंगे छत्तीसगढ़ के किसान

2013 में बीजेपी ने राज्य के विधानसभा चुनाव में वादा किया था कि यदि वो तीसरी बार सत्ता में आई तो 1410 से बढ़ा कर सीधे धान का समर्थन मूल्य 21 सौ रुपये प्रति क्विंटल करेगी. साथ में प्रति क्विंटल 300 रुपये बोनस भी देगी. लेकिन चार सालों में बीजेपी ने अपना वादा नहीं निभाया.

बीजेपी की वादाखिलाफी बताने के लिए छत्तीसगढ़ के किसान जाएंगे गुजरात बीजेपी की वादाखिलाफी बताने के लिए छत्तीसगढ़ के किसान जाएंगे गुजरात
सुनील नामदेव/कौशलेन्द्र बिक्रम सिंह
  • रायपुर,
  • 26 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 6:44 PM IST

केंद्रीय कैबिनेट के रबी सीजन के लिए गेहूं और चना का MSP क्रमशः 110 रुपये और  400 रुपये बढाए जाने से छत्तीसगढ़ के किसानों ने केंद्र पर भेदभाव का आरोप लगाया है. केंद्रीय कैबिनेट ने गेहूं का मिनिमम सपोर्ट प्राइज 110 रुपये बढ़ाते हुए 1735 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया. जबकि चने का चार सौ रुपये बढ़ाते हुए चार हजार चार सौ रुपये प्रति क्विंटल किया. केंद्रीय कैबिनेट के इस फैसले के बाद छत्तीसगढ़ के किसान बिफरे हुए हैं. उनके मुताबिक धान की पैदावार की लागत और समय गेहूं और चने से कहीं ज्यादा है. इसके बावजूद धान के समर्थन मूल्य में मात्र 80 रुपये की बढ़ोतरी की गई है.

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किसानों ने केंद्र सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगाते हुए पूछा है कि तो क्या वे चावल की पैदावार बंद कर दें. दरअसल, छत्तीसगढ़ में लगभग 26 लाख किसान साल में दो से तीन बार चावल की पैदावार करते हैं. किसानों के मुताबिक धान लगाने में लागत ज्यादा आती है. पानी ज्यादा लगता है, बिजली के बिलों में बढ़ोतरी होती है और तो और दूसरे फसलों की तुलना में कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग भी ज्यादा होता है. इसके बावजूद चावल उपजाने वाले किसानों के प्रति मोदी सरकार गंभीर नहीं है. संयुक्त किसान मोर्चे के अध्यक्ष अनिल दुबे ने ऐलान किया है कि गुजरात जा कर किसान इस मिथक को तोड़ेंगे कि बीजेपी किसानों की हमदर्द है. उनके मुताबिक बीजेपी ने ना तो केंद्र में और ना ही राज्यों में किसानों के साथ न्याय किया.

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नाराज किसान जाएंगे गुजरात

छत्तीसगढ़ के साढ़े तीन सौ से ज्यादा किसान विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए गुजरात कूच करेंगे. किसानों के अलग-अलग दर्जन भर जत्थे अहमदाबाद, गांधीनगर, सावरकुंडला, वड़ोदरा, वापी, जामनगर, भावनगर, सूरत, वलसाड समेत दूसरे और इलाको में जा कर बीजेपी की वादाखिलाफी से वहां के किसानों और सामाजिक संगठनों को आगाह करने का बीड़ा उठाया है. राज्य के पांच किसान संगठनों के लगभग 365 किसानों ने गुजरात जाने की सहमति दी है. किसानों के मुताबिक वो वहां की जनता और किसान संगठनों से मेल मुलाकात कर छत्तीसगढ़ में बीजेपी की असलियत बताएंगे.

दरअसल, 2013 में बीजेपी ने राज्य के विधानसभा चुनाव में वादा किया था कि यदि वो तीसरी बार सत्ता में आई तो 1410 से बढ़ा कर सीधे धान का समर्थन मूल्य 21 सौ रुपये प्रति क्विंटल करेगी. साथ में प्रति क्विंटल 300 रुपये बोनस भी देगी. लेकिन चार सालों में बीजेपी ने अपना वादा नहीं निभाया. इन वर्षो में  MSP बढ़कर  मात्र 1540  रुपये ही हो पाई. जबकि बोनस देने से पार्टी ने इनकार कर दिया. जब दबाव बढ़ा तो बीजेपी ने बोनस तो दिया लेकिन एक साल का, और उसमें भी कई तरह की शर्तें और पाबंदियां लगा दीं.

आखिर क्या होता है न्यूनतम समर्थन मूल्य

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MSP अर्थात मिनिमम सपोर्ट प्राइज. यह वह कीमत होती है, जिस पर सरकार किसानों से खाद्यान की खरीदी करने की गारंटी देती है. कृषि विभाग के अंतर्गत आने वाली कृषि मूल्य लागत कमेटी की सिफारिश पर फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय होता है. इसी के आधार पर सरकार किसानों की फसलों की खरीदी की योजना बनाती है.

छत्तीसगढ़ में धान का MSP बढ़ाने को लेकर राज्य भर के किसान नेता अपने समर्थकों के साथ रायपुर में जुट रहे हैं. उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाया है कि वो चावल उत्पादन करने वाले किसानों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है. महंगाई बढ़ने के बावजूद धान के समर्थन मूल्य पर मात्र 80 रुपये की वृद्धि की गई है.

किसानों के गुजरात जाने की पहल से राज्य की बीजेपी सरकार सकते में है. नाराज किसानों को सरकार आश्वस्त कर रही है कि उनके हितों का बखूबी ध्यान रखा जा रहा है. उन्हें कई तरह की योजनाओं से लाभान्वित किया गया है और 21 सौ करोड़  रुपये का बोनस भी दिया गया है.

राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह बता रहे हैं कि 2022 में आखिर उनकी आमदनी दुगनी कैसी होगी. उनके मुताबिक कीटनाशक, उर्वरक, बीज, सस्ता लोन,  मुफ्त बिजली, बैंको की ऋण अदायगी पर रोक, फसल और स्वास्थ्य बीमा के अलावा खेती किसानी के लिए कई तरह की योजनाओं को ला कर उनकी सरकार ने कृषि को बेहद सस्ता और उपयोगी बना दिया है. उन्होंने भरोसा जताया है कि इन योजनाओं से किसानों की आमदनी जल्द ही दोगुनी हो जाएगी.

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फिलहाल गुजरात जाने के इच्छुक किसानों और उनके संगठनों के अरमानों पर पानी फेरने के लिए बीजेपी सक्रिय हो गई है. दूसरी ओर बीजेपी की पोल खोल वाला किसानों का अभियान जोर पकड़ने लगा है. इसके लिए लगभग 365 किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है.

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