
छत्तीसगढ़ में सरकारी राशन दुकानों से चाइनीज मेड प्लास्टिक का चावल दिया जा रहा है. हालांकि, सरकार ने PDS सिस्टम के तहत लोगों तक नैचुरल चावल पहुंचाने का वादा किया था. मगर फिलहाल जनता को प्लास्टिक चावल खाना पड़ रहा है.
ये चावल पकने के बाद बेहद कड़क हो जाता है. लोग चावल की गेंद बनाकर खेल रहे हैं.
कांकेर, महासमुंद और जांजगीर चम्पा जिलों के कई घरों में इन दिनों रसोई से चावल की खुशबु नहीं आ रही है बल्कि पके हुए चावल की गेंद उछाली जा रही है. यह चावल लोगों ने न तो चाइना से आयात किया है और न ही किसी स्थानीय व्यापारी की दुकान से ख़रीदा है. बल्कि यह चावल राज्य की सरकारी PDS की दुकानों से रिआयती दरों पर मिला है.
हालांकि, पहले इस योजना का लाभ उठाने वाले लोगों को राशन कार्ड से प्राकृतिक चावल आसानी से मिल जाता था. मगर अब लोग मिलावटी चावल खाने को मजबूर हैं.
जब इस तरीके की शिकायत सामने आई तो लोगों ने स्थानीय प्रशासन से शिकायत की. शिकायत के बाद प्रशासन चावलों के सैंपल जुटाने में लगा है. अफसरों के मुताबिक राज्य सरकार सिर्फ खेतों में पैदान होने वाला प्राकृतिक चावल ही PDS की दुकानों में मुहैया कराती है. मगर नैचुरल की जगह प्लास्टिक चावल कैसे दुकानों तक पहुंच रहा है, अधिकारी इस पर कुछ नहीं कह पा रहे हैं.
छत्तीसगढ़ में गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजारने वालों की आबादी करीब 90 फीसदी है. सूबे की ढाई करोड़ की कुल आबादी में 90 लाख ऐसे परिवार हैं जो रिआयती दरों पर PDS की दुकानों से अनाज खरीद रहे हैं. सरकारी गणना के अनुसार एक परिवार में औसतन चार सदस्य हैं.
फिलहाल प्रशासन इस पूरे मामले को गंभीरता से देख रहा है. मगर, हकीकत ये है कि छत्तीसगढ़ में सस्ते राशन के नाम पर गरीब परिवारों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है.