Advertisement

छत्तीसगढ़ के इस बाजार में आज भी नहीं चलते रुपये

नक्सल प्रभावित बासगुड़ा गांव और यहां का बाजार अक्सर चर्चा में रहता है.

प्रतीकात्मक फोटो. प्रतीकात्मक फोटो.
अभि‍षेक आनंद
  • नई दिल्ली,
  • 24 मई 2017,
  • अपडेटेड 12:30 PM IST

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिला मुख्यालय से महज 50 किलोमीटर दूर बसे बासगुड़ा में शुक्रवार को लगने वाले बाजार में रुपये नहीं चलते. यहां आज भी सामान के बदले सामान ही मिलता है.

इसके कारण यहां के आदिवासी ही घाटे में रहते हैं. 20 रुपये किलो बिकने वाले महुए के बदले आदिवासी 10 रुपये में बिक रहा आलू ले रहे हैं. जिले में वनोपज के लिए दो बड़े बाजार गंगालूर और बासगुड़ा में लगते हैं. नक्सल प्रभावित बासगुड़ा गांव और यहां का बाजार अक्सर चर्चा में रहता है. आजादी के पहले से इन गांवों में सामान से सामान बदलने का चलन था जो चलन आज भी जारी है.

Advertisement

यहां मिलने वाले वनोपज तिखुर, शहद, चिरौंजी और बहुमूल्य जड़ी बूटियों के लिए जाने जाना वाला यह गांव सन 2005 में वीरान हो गया था. यहां के बाजारों और बस्तीओं में नक्सलियों का खौफ नजर आता है. 13 साल बाद यह वीरान गांव धीरे-धीरे बसने लगा और बाजार भी लगने लगे . पूर्व में पुलिस और नक्सलियों के बीच संघर्ष में ग्रामीण आदिवासी मारे गए और आज वनोपज में ग्रामीण आदिवासियों का भरपूर शोषण हो रहा है.

तालपेरू नदी के पास शुक्रवार को सालों से बाजार लगता है, सलवा जुडूम के बाद 10 सालों तक रौनक नहीं थी. इस साल बाजार पहले जैसा तो हो गया लेकिन ये आज भी सेलर्स मार्केट नहीं बन पाया है और शोषण का दौर जारी है. लोगों का कहना है कि जब तक जागरूकता नहीं आएगी तब तक ये बायर्स मार्केट बना रहेगा.

Advertisement

र्तेम गांव से बासगुड़ा आए आदिवासी किसान लखमू लेकाम ने बताया कि राशन की दुकान में अमृत नमक मिलता है, लेकिन उनके गांव में इसका चलन नहीं है. गांव के लोग खड़े नमक का इस्तेमाल करते हैं और वे इसे बासगुड़ा बाजार से लाते हैं. व्यापारी 2 किलोग्राम नमक देकर एक किलोग्राम महुआ लेते हैं. इन दिनों 10 रुपए किलो की दर पर बिक रहे आलू या प्याज के बदले व्यापारी 20 रूपये किलो का महुआ ले रहे हैं.

चावल के बदले चिरौंजी
जनपद पंचायत उसूर के सीईओ बीए गौतम ने कहा कि महुआ का रेट तय नहीं है. मध्य प्रदेश में इसकी दर तय कर दी गई है. कम दर पर महुआ की खरीदी करना आदिवासियों का शोषण है. उन्हें चावल के बदले चिरौंजी खरीदे जाने की शिकायत मिली थी. इस वजह से वे बाजार में जांच के लिए आए थे.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement