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टीवी हो या फिल्में, सक्सेस के लिए बच्चे जरूरी हैं...

सलमान खान हों या कप‍िल शर्मा, बात बॉलीवुड की हो या टीवी की दुनिया की, बच्चों का साथ सफलता की गारंटी माना जाता है. और एेसे एक दो नहीं, तमाम उदाहरण हमारे सामने हैं...

रुहानिका धवन और हर्षाली मल्होत्रा रुहानिका धवन और हर्षाली मल्होत्रा
स्वाति पांडे
  • नई दिल्ली,
  • 14 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 6:15 PM IST

एंटरटेंमेंट इंडस्ट्री में बच्चे सफलता की गारंटी बन गए हैं. फिल्में हों या टीवी शोज हर जगह बच्चें अपनी धाक जमाए हुए हैं. बच्चों पर आधारित फिल्में या टीवी शोज बनाना मेकर्स का हिट फॉर्मूला है. एंटरटेंमेंट इंडस्ट्री में बाल कलाकारों के काम करने का सिलसिला बहुत समय से चल रहा है. लेकिन पहले और अब के बाल कलाकारों की स्थिति में परिवर्तन जरूर आ गया है.

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बाल कलाकार अब लीड रोल में आते हैं नजर:
कुछ फिल्मों को छोड़ दें तो पहले के बाल कलाकार ज्यादातर साइड रोल्स में ही नजर आते थे. उनका किरदार फिल्मों को आगे बढ़ाने के काम नहीं आता था. टीवी के बाल कलाकारों का भी कुछ यही हाल था. लेकिन अब स्थिति‍ में बहुत बदलाव आया है. अब टीवी और फिल्में, दोनों में ही बाल कलाकार लीड रोल में नजर आते हैं. उनके इर्द-गिर्द ही सारी कहानी घूमती है.

सितारों से कम नहीं है बॉलीवुड के इन बच्चों का जलवा...

इस कड़ी में सबसे पहला नाम जो याद आता है वो है 2015 में आई फिल्म 'बजरंगी भाईजान' की मुन्नी यानी हर्षाली मल्होत्रा का. फिल्म की पूरी कहानी मुन्नी पर ही टिकी थी. जितना महत्वपूर्ण किरदार फिल्म में सलमान खान का था उससे ज्यादा महत्वपूर्ण मुन्नी का था. मु्न्नी की मासूमियत ने सबका दिल जीत लिया था और 2015 की यह ब्लॉकबस्टर फिल्म साबित हुई थी.

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हर्षाली ने छोटे पर्दे से अपने एक्टिंग करियर की शरुआत की थी और इतनी छोटी उम्र में ही उन्हें सलमान का साथ भी मिल गया. इतना तो तय है कि उन्हें आगे बड़े-बड़े ऑफर्स जरूर मिलेंगे लेकिन यह उनकी काबिलियत पर निर्भर करेगा कि वो खुद को आगे भी हिट रखती हैं या फ्लॉप के कतार में खड़ी हो जाती हैं.

'तारे जमीन पर' के ईशान अवस्थी यानी दर्शील सफारी को कोई कैसे भूल सकता है. डिस्लेक्सिया से जूझ रहे ईशान के संघर्ष ने सारे माता-पिता को यह तो समझा दिया था कि बच्चों के व्यवहार को समझने की जिम्मेदारी उनकी ही है और अगर वो शैतानी करते हैं तो उन्हें खुद से दूर भेजना समस्या का समाधान नहीं होता. फिल्म के जरिए इस बीमारी से सबका परिचय कराया गया था और उसके बाद से दर्शील घर-घर मे जाना-पहचाना नाम बन गए. आज वो किसी स्टार से कम नहीं हैं. फिल्म के बाद दर्शील 'झलक दिखला जा' में अपने डांस का जलवा भी दिखा चुके हैं और अब वो टीवी पर 'सुन यार ट्राई मार' में नजर आएंगे.

सलमान के साथ बॉलीवुड में एंट्री लेने वाली इस स्टार को पहचानते हैं आप?

2011 में आई 'स्टेनली का डब्बा' एक बच्चे स्टेनली यानी पार्थो गुप्ते के लंच बॉक्स पर आधारित कहानी थी. कैसे स्कूल में अपना लंच ना लाने के कारण स्कूल के टीचर उसे धमकाते हैं और उसे स्कूल आने से मना कर देते हैं. डायरेक्टर अमोल गुप्ते के बेटे पार्थो ने इसमें शानदार अभिनय से सबका जीत लिया था. इस फिल्म के लिए पार्थो को नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है. पार्थो का आगे का फिल्मी करियर काफी उज्जवल दिख रहा है.

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2011 में ही आई फिल्म 'आई एम कलाम' भूतपूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की जिंदगी से प्रेरित थी. पूरी फिल्म छोटू यानी हर्ष नायर पर ही आधारित थी. फिल्म में छोटू ने इतना शानदार अभिनय किया था कि राष्ट्रपति कलाम भी उसकी तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाए थे.

2012 में आई 'फरारी की सवारी' में रित्विक सहोर ने कायो का किरदार निभाया था. फिल्म पूरी तरह कायो की जिंदगी के आस पास ही घूमती है. कायो फरारी की सवारी करना चाहता था और उसके पापा और दादा जी उसके इस सपने को पूरा करने में लग जाते हैं.

छोटे पर्दे के चाइल्ड आर्टिस्ट भी हैं काफी पॉपुलर:

टीवी पर कुछ सालों पहले आई 'शाका लाका बूम-बूम' और 'सोन परी' संजू और फ्रूटी की कहानी ही थी. 2000 के दशक में सारे बच्चे इन सीरियल्स के दीवाने थे. दोनों शोज में संजू और फ्रूटी मु्ख्य किरदार में थे और बाकी कलाकार बस उनकी सहायता के लिए ही थे. हालांकि यह दोनों शोज लाइट मूड की थी लेकिन अब बाल कलाकारों के सीरियलों का स्वरूप बदल गया है.

अब बाल कलाकारों पर आधारित सीरियल समाज के किसी गंभीर मुद्दे को उठाते नजर आते हैं. 'उड़ान' की चकोर को देख लीजिए या 'बालिका वधू' की आनंदी को. उड़ान की चकोर यानी स्पंदन चतुर्वेदी को उसके घरवालों ने गिरवी रख दिया था. चोकोर के संघर्ष और बंधुआ मजदूर की कहानी को दिखाता यह शो गांवों में बहुत लोकप्रिय है.

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बाल विवाह जैसी कुप्रथा पर चोट करने वाला 'बालिका वधु' शो भारतीय टेलीविजन पर सबसे ज्यादा दिन तक चलने वाला शो भी है. पहली बार टीवी पर किसी ने ऐसे गंभीर मुद्दे को उठाया. इस शो को बच्चों, बड़े, बूढ़ों सबने पसंद किया. 'बालिका वधु' की आनंदी आज बहुत फेसम हैं और वो 'ससुराल सिमर का' में भी नजर आ चुकी हैं.

मिलिए बॉलीवुड की इन ग्लैमरस मॉम्स और उनके क्यूट किड्स सेर को पहचानते हैं आप?

कलर्स पर आने वाले 'देवांशी' में भी एक बच्ची ही लीड रोल में है. हरियाणा की पृष्ठभूमि पर आधारित इस शो में समाज में फैले अंधविश्वास को दिखाया गया है.

टीवी इंडस्ट्री के बच्चों की बात हो रही हो तो कोई भला 'ये हैं मोहब्बतें' की रुही यानी रुहानिका धवन को कैसे भूल सकता है. अगर 3 साल से यह शो टीआरपी चार्ट के टॉप 5 में जगह बनाने में सफल रहता है तो इसका श्रेय रूही को ही जाता है.

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