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बच्चों की बिक्री: RSS ने मदर टेरेसा का भारत रत्न सम्मान वापस लेने की मांग की

आरएसएस और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा है कि रांची के मिशनरीज ऑफ चैरिटी के केंद्रों से बच्चे बेचने की बात सही साबित होती है तो मदर टेरेसा को दिया भारत रत्न सम्मान वापस लेना चाहिए.

मदर टेरेसा (रायटर्स फाइल फाेटो) मदर टेरेसा (रायटर्स फाइल फाेटो)
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 13 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 1:08 PM IST

आरएसएस और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा है कि रांची के मिशनरीज ऑफ चैरिटी के केंद्रों से बच्चे बेचने की बात सही साबित होती है तो दिवंगत मदर टेरेसा को दिया भारत रत्न सम्मान वापस लेना चाहिए.

आरएसएस के दिल्ली प्रचार प्रमुख राजीव तुली ने आजतक-इंडिया टुडे से कहा कि यदि मिशनरीज ऑफ चैरिटी के खिलाफ लगे आरोप सही साबित होते हैं, तो मदर टेरेसा को सामाजिक‍ कार्य के लिए मिला भारत रत्न वापस ले लेना चाहिए. बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी तुली की इस मांग का समर्थन किया.

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तुली ने कहा, 'भारत के नागरिक यह नहीं चाहते कि भारत रत्न पर कोई दाग लगे. मदर टेरेसा को 1980 में भारत रत्न दिया गया था. तब भी ऐसे आरोप लगते थे और आज भी आरोप लग रहे हैं. यदि यह आरोप सच साबित होते हैं. तो हमें मदर टेरेसा को मिले भारत रत्न पर फिर से सोचना पड़ेगा.'  

मदर टेरेसा को पिछले साल ही वेटिकन से संत की उपाधि मिली है. तुली ने कहा कि मदर टेरेसा ने कभी भी 'लोक कल्याण के लिए काम नहीं किया.'  

इसके पहले बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मदर टेरेसा द्वारा स्थापित इस संस्था का समर्थन करते हुए कहा था कि उसे 'दुर्भावनावश और बदनाम करने के लिए' लक्षित किया जा रहा है.

आजतक-इंडिया टुडे से बातचीत में स्वामी ने तुली की टिप्पणी के बारे में कहा, 'मैं इसका 100 फीसदी समर्थन करता हूं.' स्वामी ने कहा कि ब्रिटिश लेखक क्रिस्टोफर की किताब 'द मिशनरी पोजीशन: मदर टेरेसा इन थ्योरी ऐंड प्रैक्‍टिस' में पूरा दस्तावेज दिया गया कि किस प्रकार मदर टेरेसा ने जालसाजी की.

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ममता बनर्जी की टिप्पणी का जवाब देते हुए स्वामी ने कहा, 'ममता बनर्जी यदि इस मसले पर बहस करना चाहती हैं तो मैं तैयार हूं. मेरे पास तथ्य हैं.'

क्या है पूरा मामला?

ये मामला तब सामने आया था जब इस साल मई में मिशनरीज ऑफ चैरिटी से जुड़े होम से एक नवजात शिशु को एक दंपति ने 1.20 लाख रुपए में लिया था. इस दंपति से नवजात के जन्म और चिकित्सा देखभाल के नाम पर ये रकम ली गई थी. दंपति का आरोप है कि चैरिटी संस्थान की ओर से ये आश्वासन देकर बच्चा वापस ले लिया कि प्रक्रिया पूरी होने के बाद बच्चा लौटा दिया जाएगा. जब बच्चा वापस नहीं मिला तो दंपति ने इसकी शिकायत चाइल्ड वेलफेयर कमेटी से कर दी.

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