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चीन ने फिर कहा- भारत को आपत्तियां छोड़कर OBOR में शामिल होना चाहिए

चीन ने फिर कहा कि भारत को राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी ‘बेल्ड एंड रोड इनीशियेटिव’ (BRI) पर अपनी आपत्तियां छोड़ देनी चाहिएं और परियोजना में शामिल हो जाना चाहिए, क्योंकि इससे कश्मीर मुद्दे पर बीजिंग का रुख नहीं बदलेगा.

OBOR पर शामिल होने से नहीं बदलेगा कश्मीर पर रुख OBOR पर शामिल होने से नहीं बदलेगा कश्मीर पर रुख
राम कृष्ण
  • बीजिंग,
  • 26 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 11:02 PM IST

चीन अपनी महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड परियोजना में भारत को शामिल करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है. उसको लगता है कि भारत के बिना वह इस परियोजना को पूरा करने में सफल नहीं होगा. लिहाजा बृहस्पतिवार को चीन ने फिर कहा कि भारत को राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी ‘बेल्ड एंड रोड इनीशियेटिव’ (BRI) पर अपनी आपत्तियां छोड़ देनी चाहिएं और परियोजना में शामिल हो जाना चाहिए, क्योंकि इससे कश्मीर मुद्दे पर बीजिंग का रुख नहीं बदलेगा.

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दरअसल, वन बेल्ट वन रोड परियोजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से गुजर रही है. भारत इसे अपना हिस्सा मानता है. लिहाजा भारत इस परियोजना के यहां से गुजरने को अपनी संप्रभुता के खिलाफ मानता है. समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक चीन -पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) वाली बीआरआई परियोजना को सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की पांच साल में एक बार होने वाली हाल ही में संपन्न कांग्रेस में पार्टी के संविधान में शामिल किया गया है.

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘‘हम बेल्ट एंड रोड इनीशियेटिव में भागीदारी के लिए भारत समेत अन्य देशों का स्वागत करते हैं.’ उन्होंने कहा कि बीआरआई का उद्देश्य सभी देशों की साझा समृद्धि और क्षेत्रीय देशों के बीच संपर्क को बढ़ावा देना है.

शुआंग ने कहा कि यह पहल संबंधित मुद्दों पर चीन के रुख को प्रभावित नहीं करेगी और संबंधित पहलों पर हमारी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आएगा.’ भारत ने सीपीईसी का विरोध किया है क्योंकि यह विवादित क्षेत्र से गुजर रहा है. भारत ने मई में चीन द्वारा आयोजित बेल्ट एंड रोड फोरम का बहिष्कार किया था.

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वहीं, वन बेल्ट वन रोड परियोजना से जुड़ने की चीन की सलाह पर विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि दक्षिण एशिया के लिए कनेक्टिविटी का हर प्रॉजेक्ट अच्छा है, लेकिन ये सिद्धांतों के मुताबिक हों. संप्रभुता से समझौता नहीं किया जा सकता है.

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