
क्या चीन भारत के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए लेनदेन के किसी फॉर्मूले पर गौर कर रहा है? चीन के वरिष्ठ पूर्व राजनयिक दाई बिंगुओ के ताजा इंटरव्यू से इस बात के संकेत मिले हैं.
तवांग के बदले अक्साई चिन?
दाई बिंगुओ ने बीजिंग के एक अखबार से कहा- 'दोनों देशों के बीच सीमा विवाद की बड़ी वजह ये है कि चीन के जायज अनुरोध अनसुने किये गए हैं. अगर भारत पूर्वी सीमा पर चीन के हितों का ख्याल रखता है तो चीन किसी और जगह पर ऐसा ही करेगा.' समझा जा रहा है कि बिंगुओ का इशारा अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके के बदले भारत को उत्तर में अक्साई चिन इलाके का कब्जा देने का था.
बयान की अहमियत
हालांकि दाई बिंगुओ अब रिटायर हो गए हैं लेकिन उनकी बात की खासी अहमियत है. वो 2013 तक सीमा विवाद पर भारत के साथ बातचीत के लिए अपने देश के विशेष प्रतिनिधि थे. बिंगुओ चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी में असर रखने वाले नेता माने जाते हैं. चीन के मौजूदा शासकों के साथ भी उनकी करीबी है. आम तौर पर चीन में कोई भी अधिकारी इस तरह का बयान किसी तरह की सरकारी मंजूरी के बिना नहीं दे सकता है. बिंगुओ ने पिछले साल रिलीज हुई किताब में भी कुछ ऐसा ही सुझाव दिया था.
क्या ये अदला-बदली मुमकिन है?
अरुणाचल प्रदेश का तवांग इलाका सामरिक नजरिये से बेहद अहम है. यहां बने मठ की तिब्बत और भारत के बौद्धों के लिए खासी अहमियत है. 1962 में भी दोनों देश यहां जंग लड़ चुके हैं. हालांकि जंग के बाद चीन ने इस इलाके को खाली कर दिया था. चीन तवांग को दक्षिणी तिब्बत का इलाका बताता है. तवांग पर अधिकार तिब्बत पर चीन की पकड़ को और मजबूत करेगा.
वहीं अक्साई चिन जम्मू-कश्मीर का सबसे पूर्वी क्षेत्र है. 1962 में चीन ने इसे पाकिस्तान को सौंपा था. हालांकि भारत दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते को नहीं मानता है. तिब्बत और चीन के जिनजियांग प्रांत को जोड़ने वाला हाईवे अक्साई चिन से होकर गुजरता है. इसके अलावा चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर के मद्देनजर भी इस इलाके की अहमियत बढ़ गई है.