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चीन बॉर्डर पर बसे लोगों की हुंकार- हमारे साथ भारतीय सेना, फिर क्यों डरें ड्रैगन से

इन इलाकों के लोगों का कहना है कि उनको यहां हालात बिगड़ने से डर नहीं लगता. इनका कहना है कि यहां पर हमारे फौजी हमारी रखवाली के लिए हैं. लिहाजा डरने की कोई बात नहीं है.

चीन-भारत सीमा से आजतक की ग्राउंड जीरो रिपोर्ट चीन-भारत सीमा से आजतक की ग्राउंड जीरो रिपोर्ट
पद्मजा जोशी/मंजीत नेगी
  • भारत-चीन बॉर्डर से,
  • 22 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 8:34 AM IST

भारत और चीन में जारी तनातनी के बीच आजतक की टीम लद्दाख बॉर्डर, सिक्किम बॉर्डर और तिब्बत से सटे उत्तराखंड के माणा बॉर्डर पर हालात का जायजा लेने पहुंची. इस बार भारत भी चीन से निपटने की पूरी तैयारी कर रहा है. सीमा पर सिर्फ सुरक्षाकर्मी ही नहीं, बल्कि सीमांत गांवों के लोग भी चीन से सतर्क हैं.

हालांकि अब इन इलाकों के लोगों को यहां हालात बिगड़ने पर चीन का डर नहीं सताता है. इनका कहना है कि यहां पर हमारे भारतीय फौजी हमारी रखवाली के लिए हैं. लिहाजा डरने की कोई बात नहीं है. चीन से सटे सीमावर्ती इलाकों के लोग भले ही बिजली, पानी, फोन और रोजगार समेत तमाम दिक्कतों से जूझ रहे हों, लेकिन इनके हौसले सातवें आसमान पर हैं. इनका कहना है कि सीमा पर सैन्यकर्मियों की मौजूदगी है, जिसके चलते चीन से डरने की कोई जरूरत नहीं है.

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खराब मौसम में यहां के लोगों की समस्याएं और भी बढ़ जाती हैं. वहीं, चीनी सैनिकों ऊपर से साल 1962 के युद्ध का हैंगओवर अब तक उतरा नहीं है, लेकिन हमारी सेना की तैयारी बताती है कि अब अगर चीन ने आंखें तरेरी तो उसके लिए बुरे दिन शुरु हो जाएंगे. यहां रहने वाले लोगों को आज चीन से डर नहीं लगता, क्योंकि इन्हें अपने जवानों पर पक्का यकीन है.

आजतक की टीम डोकलाम के बेहद करीब इलाके का दौरा किया. डोकलाम का तनाव भारत-चीन सीमा पर हर जगह दिख रहा है. लिहाजा सेना की तैयारी सिर्फ सिक्किम बॉर्डर पर ही नहीं, बल्कि लद्दाख के बर्फीले इलाकों पर भी है. इसके अलावा उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों में आईटीबीपी के फारवर्ड पोस्ट में ड्रैगन को माकूल जवाब देने की तैयारी जारी है.

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36 दिन बाद भी छत्तीस का आंकड़ा

डोकलाम में चीन की दादागीरी का छत्तीसवां दिन है. ड्रैगन अपनी हरकतों से बाज आता नहीं दिख रहा. वह रोजाना धमकी दे रहा है. छत्तीस दिन बाद भी दोनों देशों के बीच छत्तीस का आंकड़ा बरकरार है. आजतक की टीम ने उत्तराखंड के चमोली जिले के आखिरी सरहदी गांव माणा पहुंची. यह तिब्बत से जुड़े सरहद का आखिरी छोर है.

चीन को माकूल जवाब देने की तैयारी

चमोली से तिब्बत जाने के लिए 3 दर्रे हैं, जो 1962 की जंग से पहले भारत और तिब्बत के बीच के ट्रेड रुट थे. अब यहां आईटीबीपी का फारवर्ड पोस्ट है. चीन की ताजा दादागीरी के बाद यहां माकूल जवाब देने के लिए तैयारी चल रही है. यहां पर तैनात जवानों को कड़ा प्रशिक्षण दिया जाता है, जो चंद मिनटों में 70 फुट ऊंची सीधी खड़ी चट्टान पर चढ़कर दुश्मन नेस्तनाबूत कर सकते हैं. इससे पहले चमोली के बड़ाहोती में 3 जून 2017 को चीन के 2 हेलिकॉप्टर घुसे थे, जिसका भारत ने कड़ा विरोध किया था.

 

 

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