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भारत, चीन एक-दूसरे को खत्म नहीं कर सकते, मिलकर रहने में ही भलाई: दलाई लामा

तिब्बती गुरु ने कहा है कि दोनों पड़ोसी देशों को साथ-साथ रहना है, इसलिए बेहतर होगा कि वे एक परिवार की तरह रहें. वह नई दिल्ली में लाल बहादुर शास्त्री इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में एक कार्यक्रम में मौजूद थे.

दलाई लामा दलाई लामा
भारत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 23 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 8:18 PM IST

तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने भारत और चीन के शीर्ष नेताओं की आगामी मुलाकात पर खुशी जाहिर की है. दलाई लामा ने कहा है कि दोनों देश एक-दूसरे को नष्ट तो नहीं कर सकते, ऐसे में दोनों का मिलकर रहना ही बेहतर विकल्प है.

तिब्बती गुरु ने कहा है कि दोनों पड़ोसी देशों को साथ-साथ रहना है, इसलिए बेहतर होगा कि वे एक परिवार की तरह रहें. वह नई दिल्ली में लाल बहादुर शास्त्री इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में एक कार्यक्रम में मौजूद थे.

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उन्होंने आगे कहा कि अगर चीन उनकी स्वायत्तता की मांग को मान लेता है तो निर्वासित तिब्बती भी वहां रहने के विकल्प को चुन सकते हैं.

आपको बता दें कि भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इसी हफ्ते चीन के वुहांग में एक अनौपचारिक मुलाकात करेंगे. भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और चीन के विदेश मंत्री  वांग यी की मुलाकात के बाद रविवार को इस बारे में घोषणा की गई. सुषमा शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने चीन गई हैं.

पीएम मोदी 27 और 28 अप्रैल को चीन में रहेंगे. चीन ने इस मुलाकात के बारे में सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस हफ्ते वुहान में होने वाले अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में वैश्वीकरण और बढ़ते संरक्षणवाद को लेकर जोखिम पर चर्चा करेंगे और दुनिया को काफी 'सकारात्मक चीजें सुनने' को मिलेंगी.

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चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि वुहान में दोनों नेता महत्वपूर्ण रणनीतिक मुद्दों के साथ दुनिया में हो रहे ताजा घटनाक्रम पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे. उन्होंने कहा, 'आपको यह अंदाजा होगा कि यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब दुनिया में वैश्वीकरण की प्रक्रिया में मनमानी बढ़ने के साथ संरक्षणवाद जोर पकड़ रहा है.'

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