
भारत और चीन के बीच जब से डोकलाम विवाद शुरू हुआ है, तभी से दोनों देशों के संबंधों में काफी खटास आई है. लेकिन इस खटास के बीच दोनों देश के अधिकारियों ने ब्रह्मपुत्र नदी को लेकर अहम बैठक की है. भारत के जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारियों ने दोनों देशों में बहने वाली नदियों पर सहयोग के संबंध में अपने चीनी समकक्षों से बातचीत की है.
गौरतलब है कि ब्रह्मपुत्र नदी के जल प्रवाह पर चीन द्वारा पिछले वर्ष से आंकड़ें उपलब्ध कराना बंद किए जाने के बाद दोनों देशों के बीच यह नदी के मुद्दे पर पहली वार्ता है.
बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, दोनों देशों में बहने वाली नदियों के संबंध में भारत-चीन विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र (ईएलएम) की 11वीं बैठक मंगलवार को चीन के हांगझोऊ शहर में समाप्त हुई, वार्ता दो दिन चली. भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व जल संसाधन मंत्रालय में आयुक्त् के पद पर कार्यरत तीरथ सिंह मेहरा ने किया वहीं चीनी दल का नेतृत्व जल संसाधन मंत्रालय के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मामलों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग विभाग के काउंसल यु शिंगजुंग ने किया.
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, बैठक में ईएलएम शुरू होने से अभी तक उसमें हुई प्रगति और पनबिजली संबंधी जानकारी उपलब्ध कराने तथा दोनों देशों में बहने वाली नदियों से उत्पन्न होने वाली आपातस्थिति में सहयोग करने पर चर्चा हुई.
अधिकारियों ने ब्रह्मपुत्र और सतलुज नदियों में बाढ़ के मौसम में पनबिजली से जुड़े चीन और भारत के आंकड़ों का भी विश्लेषण किया. ईएलएम की शुरुआत 2006 में हुई थी. इस समझौते के तहत चीन 15 मई से 15 अक्तूबर के बीच ब्रह्मपुत्र नदी के बाढ़ के आंकड़े भारत को उपलब्ध कराता है.
आपको बता दें कि जब पिछले साल भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद बढ़ा था, उस दौरान चीन ने ब्रह्मपुत्र से जुड़े आंकड़ों को साझा नहीं किया था. उस दौरान इस प्रकार की खबरें आ रही थीं कि चीन भारत पर पानी के जरिए हमला कर सकता है. बरसात के मौसम में लगातार पड़ोसी देश एक-दूसरे से नदियों में बढ़ते जलस्तर और बांधों से कितना पानी छोड़ा जा रहा है, इस बारे में आंकड़े सार्वजनिक किए जाते हैं, ताकि अगर बाढ़ जैसे हालात हों तो उससे निपटने की तैयारी की जा सके.