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23 साल बाद नेपाल में चीन के राष्ट्रपति, क्या भारत की बढ़ेगी टेंशन?

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काठमांडू में हुए बिम्सटेक सम्मलेन के दौरान बिम्सटेक सदस्य देशों के सामने सैन्य अभ्यास का प्रस्ताव रखा तो ऐन वक्त पर चीन के दबाब में नेपाल ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया था, जबकि हाल ही में नेपाल ने चीन के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास किया है.

नेपाल के राष्ट्रपति के साथ चीनी राष्ट्रपति (फोटो- ANI) नेपाल के राष्ट्रपति के साथ चीनी राष्ट्रपति (फोटो- ANI)
सुजीत झा
  • पटना,
  • 13 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 1:26 PM IST

  • नेपाल में चीनी राष्ट्रपति का हु्आ गर्मजोशी से स्वागत
  • सोमवार को चीन-नेपाल के कई समझौतों पर मुहर

भारत का दो दिवसीय दौरा पूरा करने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शनिवार को महाबलीपुरम से सीधे काठमांडू पहुंचे. 23 साल के बाद कोई चीन का राष्ट्रपति नेपाल के दौरे पर है, तो इसके कुछ मायने हैं. नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनने के बाद चीन के राष्ट्रपति के इस दौरे को चीनी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है.

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चीन-नेपाल के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर

चीन के राष्ट्रपति के आगमन को लेकर नेपाल में भारी उत्साह दिखाई दिया. नेपाल के राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी, प्रधानमंत्री केपीएस ओली समेत पूरा मंत्रिमंडल जिनपिंग की आगवानी में त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचे थे. इस दौरे के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग नेपाल के साथ कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे. इनमें चीन के केरुंग से नेपाल के काठमांडू तक सीधी रेलवे लाइन बनाने पर भी हस्ताक्षर करने की तैयारी है.

किन समझौतों पर हस्ताक्षर संभव?

चीन और नेपाल के बीच कई मार्गों को संचालित करने की भी योजना है. नेपाल की बहुप्रतीक्षित मेलम्ची योजना हो या बूढ़ी गंडक जलविद्युत परियोजना इन सभी पर हस्ताक्षर होने की संभावना है. नेपाल के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट में शामिल होने के कारण राष्ट्रपति की तरफ से किसी बड़े तोहफे या बड़ी घोषणा की उम्मीद जताई जा रही है. सोमवार को इन समझौतों पर मुहर लग सकती है.

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चीन के हर प्रस्ताव को स्वीकार कर रहा है नेपाल

नेपाल के रास्ते भारत को घेरने की चीन की रणनीति के तहत चीन ने महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड परियोजना में नेपाल एक साल पहले ही सम्मिलित हो चुका है. नेपाल में वामपंथी सरकार बनने के बाद से चीन की तरफ से दिए जाने वाले हर आर्थिक सहयोग, अनुदान, ऋण को बिना किसी रोक-टोक के स्वीकार किया जा रहा है.

नेपाल ने ठुकराया था भारत का प्रस्ताव

वहीं पिछली बार जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काठमांडू में हुए बिम्सटेक सम्मलेन के दौरान बिम्सटेक सदस्य देशों के सामने सैन्य अभ्यास का प्रस्ताव रखा तो ऐन वक्त पर चीन के दबाब में नेपाल ने इस सैन्य अभ्यास में शामिल होने से इनकार कर दिया था, जबकि हाल ही में नेपाल ने चीन के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास किया है.

रेल और सड़क विस्तार करेगा चीन

नेपाल में अपनी सीधी पैठ बनाने और भारत से लगी सीमाओं तक अपनी पहुंच बनाने के लिए चीन रेल और सड़क विस्तार करने जा रहा है. चीन के केरुंग से नेपाल के काठमांडू तक रेलवे ट्रैक के निर्माण में चीन बहुत ही दिलचस्पी दिखा रहा है. चीन की योजना है कि इस रेल विस्तार को लुम्बिनी तक पहुंचाया जाए. इसके अलावा 5 अन्य नई सीमाओं के संचालन की  तैयारी है, जिससे नेपाल को भारत के पांच बड़े सीमा क्षेत्र तक पहुंचाया जा सके.  

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हिंदी की वकालत करने वाले नेपाल में कहलाते हैं राष्ट्रविरोधी

नेपाल में हिंदी भाषा को लेकर विरोध होता आया है. हिंदी को भारत की भाषा कह कर हिंदी की वकालत करने वालों को नेपाल में राष्ट्रविरोधी करार दे दिया जाता है. हिंदी भाषा में शपथ लेने के कारण ही नेपाल के पहले उपराष्ट्रपति परमानंद झा को अपने पद से इस्तीफा देकर दोबारा शपथ लेनी पड़ी. नेपाल की संसद में हिंदी में बोलने पर सांसदों के भाषण का प्रत्यक्ष प्रसारण पर रोक है.

चीन के कहने पर भारत से रिश्ते कमजोर कर रहा है नेपाल

चीन के इशारे पर नेपाल भारत के साथ अपनी खुली सीमाओं को बंद करने और दोनों देशों के बीच पासपोर्ट या कोई अन्य परिचय पत्र की व्यवस्था अनिवार्य रूप से लागू करने के लिए लॉबिंग कर रहा है. नेपाल का भारत के साथ जो पारिवारिक, सांस्कृतिक, धार्मिक संबंध है उसे किसी भी प्रकार कमजोर किया जाए. नेपाल भारत की सीमा को बंद करने के बाद ही यह संभव है, इसलिए यह कवायद चल रही है.

नेपाल और भारत के सीमावर्ती क्षेत्र में होने वाले वैवाहिक संबंध को खत्म करने के उद्देश्य से ही नेपाल की संसद में ऐसा कानून लाया गया जिसके पारित होने के बाद नेपाल में ब्याह कर आने वाली बेटियों को नेपाल की नागरिकता हासिल करने के लिए 7 साल इंतजार करना पड़ेगा. इसके साथ ही नेपाल में राजनीतिक अधिकार से वंचित भी रहना पड़ेगा.

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