
दुनियाभर में कई लोग कोरियाई प्रायद्वीप को तीसरे विश्व युद्ध की जमीन के तौर पर देख रहे हैं. हालात को सुधारने के बजाए अब चीन ने यहां सुलग रही आग में और घी डालने का काम किया है. चीन के रक्षा मंत्रालय ने इस इलाके के करीब उत्तर-पूर्वी सागर में एक नई किस्म की मिसाइल के परीक्षण का दावा किया है.
चीन की सरकार ने क्या कहा?
चीन के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक बोहाई सागर में ये किए गए इस परीक्षण का मकसद 'सेना की क्षमता बढ़ाना और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों के साथ प्रभावी तरीके से निपटना है.' मंत्रालय के मुताबिक ये एक नई किस्म की गाइडेड मिसाइल है. हालांकि ये नहीं बताया गया है कि परीक्षण कब किया गया. मिसाइल के बारे में तफ्सील और इसके लॉन्चिंग के तरीके का खुलासा भी नहीं किया गया है.
क्यों पड़ी परीक्षण की जरूरत?
चीनी सेना का ये परीक्षण ऐसे वक्त में आया है जब अमेरिका और इलाके में उसके सहयोगी देशों के साथ उत्तर कोरिया के रिश्ते सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं. उत्तर कोरिया की तानाशाही सरकार आए दिन अमेरिका को परमाणु हमले की धमकी दे रही है. राष्ट्रपति ट्रंप ने भी यहां सेना की मौजूदगी बढ़ाई है. अमेरिकी नौसेना ने इलाके में अपना युद्धपोत भेजा है और दक्षिणी कोरिया के अलावा जापान के साथ भी कई
युद्धाभ्यास किये हैं.
अमेरिकी मिसाइल डिफेंस से डरा चीन?
लेकिन चीन की सबसे बड़ी चिंता अमेरिका का मिसाइल डिफेंस सिस्टम THAAD है. अमेरिका ने पिछले महीने ही दक्षिणी कोरिया के पूर्वी हिस्सों में इस सिस्टम को तैनात किया है. वॉशिंगटन का कहना है कि इस कदम का मकसद उत्तर कोरिया से मिसाइल हमले के खतरे से निपटना है. लेकिन चीन इसे अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता है. बीजिंग की राय में इस तैनाती से अमेरिका ने दक्षिणी चीन सागर में अपनी सैन्य मौजूदगी को मजबूत किया है. चीन इस सागर के तकरीबन पूरे इलाके पर दावा करता है. लेकिन इलाके के कई देश इसके खिलाफ हैं.