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बॉर्डर तनाव: भारत पर दबाव बनाकर दुनिया को ये 5 संदेश देना चाहता है चीन

चीन का कहना है कि भारत बॉर्डर से अपनी सेना को हटा ले. वहीं चीनी अखबार ने अपने आर्टिकल में साफ तौर पर लिखा है कि चीन भारत से किसी भी तरह के संघर्ष के लिए तैयार है. भारत को डराकर और युद्ध की धमकी देकर चीन पूरी दुनिया को कई संदेश देना चाहता है.

चीन देना चाहता है दुनिया को बड़ा संदेश चीन देना चाहता है दुनिया को बड़ा संदेश
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली/बीजिंग,
  • 19 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 10:10 PM IST

पिछले काफी लंबे समय से भारत और चीन के बीच तनातनी बढ़ रही है. सिक्किम के पास डोकलाम में बॉर्डर पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं, तो वहीं अपने सरकारी अखबार के जरिये चीन भी आए दिन गीदड़भभकी दे रहा है. चीन का कहना है कि भारत बॉर्डर से अपनी सेना को हटा ले. वहीं चीनी अखबार ने अपने आर्टिकल में साफ तौर पर लिखा है कि चीन भारत से किसी भी तरह के संघर्ष के लिए तैयार है. भारत को डराकर और युद्ध की धमकी देकर चीन पूरी दुनिया को कई संदेश देना चाहता है.

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1. वो एशिया की एकलौती महाशक्ति है

चीन पिछले कुछ दशकों में काफी तेजी से आगे बढ़ा है, फिर चाहे वह अर्थव्यवस्था का मसला हो या फिर सैन्य ताकत हो. लेकिन पिछले एक दशक में भारत भी एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरा है, पीएम मोदी लगभग अपने हर भाषण में कहते हैं कि पूरी दुनिया की नजर एशिया पर है और एशिया में भी भारत पर सभी की नजरे हैं. चीन भारत पर दबाव बनाकर यह दर्शाना चाहता है कि एशिया में वह एकलौती महाशक्ति है और भारत को अपने सामने बौना साबित करने की कोशिश करेगा.

2. दक्षिण चीन सागर में विरोधी देशों को सख्त संदेश

भारत ही नहीं चीन की अपने 14 पड़ोसी देशों के साथ तल्ख रिश्ते हैं. दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर चीन को दुनिया के कई बड़े देशों का सामना करना पड़ा है. अमेरिका, जापान और भारत समेत कई बड़े देश इस मुद्दे पर चीन को नसीहत दे चुके हैं. मंगलवार को ही भारत और दक्षिण चीन सागर में चीन के अड़ियल रवैये के बीच अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने चीन की बढ़ती राजनीतिक और सैन्य महत्वकांक्षाओं को लेकर चेताया है. शीर्ष पेंटागन कमांडर ने जहां एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन के सैन्य जमावड़े को लेकर, तो ऑस्ट्रेलिया ने दक्षिण चीन सागर पर प्रभुत्व स्थापित करने की चीनी तिकड़म का विरोध किया है.

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3. आर्थिक हितों में कोई नहीं बने बाधा (OBOR में बाधा बना था भारत)

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्ट वन बेल्ट, वन रोड में सबसे बड़ा रोड़ा भारत ही है. चीन के इस प्रोजेक्ट का कुछ हिस्सा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है, जिसपर भारत को आपत्ति है. भारत की आपत्ति पर कई देश उसके साथ आ चुके हैं. जब OBOR को लॉन्च किया गया था तो न्योते के बावजूद भी भारत का कोई प्रतिनिधि वहां नहीं गया था. चीन का यह प्रोजेक्ट चीन को सीधे तौर पर यूरोप से जोड़ देगा. चीन को भारत को छोटा दिखा कर यह संदेश देना चाहता है कि अगर उसके रास्ते में कोई आता है तो उसका काफी असर होगा.

4. अमेरिकी घेरेबंदी और ट्रंप की नीति को सीधी चुनौती

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हर मोर्चे पर चीन का विरोध करते नजर आए हैं. अमेरिका चीन के मुद्दे पर भी लगातार भारत, जापान के साथ खड़ा रहा है. चीन अपनी ताकत का एहसास कराकर अमेरिका को जवाब देना चाहता है. ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति चीन के आर्थिक सपने को भी झटका देती है. भारत पर कड़ा रुख अपनाकर चीन सीधे तौर पर अमेरिका का खुली चुनौती देने की कोशिश कर रहा है.ट्रंप प्रशासन ने चीन के कट्टर विरोधी ताइवान को हथियार बेचने को भी मंजूरी दे दी है. ट्रंप प्रशासन के भारत के साथ भी अच्छे रिश्ते हैं. ऐसे में चीन बॉर्डर पर तनाव बढ़ाकर अमेरिका को भी संदेश देना चाहता है.

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5. आंतरिक राजनीति में शी जिनपिंग की सख्ती को दिखाना है

2013 में चीनी राष्ट्रपति के पद पर बैठे शी जिनपिंग 2018 से पहले कम्युनिस्ट पार्टी के मंच पर फिर अपना प्रेजेंटेशन देंगे. उन्हें पार्टी के सामने किए गए वादों और चीन की मजबूत छवि के लिए किए जा रहे काम को दिखाना है. 2013 में जब जिनपिंग तो इस पद पर सवार हो रहे थे, तब उन्होंने अपने एजेंडे में चीन को महाशक्ति बनाने का लक्ष्य रखा था. साथ ही चीन के बॉर्डर और आर्थिक ताकत के विस्तार का खाका भी खींचा था. अब 2018 में दोबारा इस पद के लिए जब जिनपिंग अपनी दावेदारी पेश करेंगे तो वह यह बताना चाहेंगे कि उनके कार्यकाल में चीन ने कितनी तरक्की की है, और चीन की छवि को मजबूत किया है. इसलिए भी चीन पड़ोसी देशों के साथ सख्ती का रुख दिखाने की कोशिश कर रहा है.

 

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