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बॉर्डर पर ब्रह्मोस की तैनाती की खबर से तिलमिलाया चीन, कहा- सीमा पर बिगड़ेंगे हालात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने पहाड़ों पर युद्ध के लिए विकसित ब्रह्मोस के उन्नत संस्कण से लैस एक नई रेजिमेंट की स्थापना को मंजूरी दी थी. इसकी लागत 4,300 करोड़ रुपये से अधिक होगी.

ब्रह्मोस मिसाइल ब्रह्मोस मिसाइल
स्‍वपनल सोनल
  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 4:16 PM IST

देश के नॉर्थ-ईस्ट में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल तैनात किए जाने के ऐलान के साथ ही 'ड्रैगन' का सिरदर्द शुरू हो गया है. तिलमिलाए चीन ने आगाह किया है कि अगर भारत ऐसा कोई कदम उठाता है तो यह सीमा पर स्थिरता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा.

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने पहाड़ों पर युद्ध के लिए विकसित ब्रह्मोस के उन्नत संस्कण से लैस एक नई रेजिमेंट की स्थापना को मंजूरी दी थी. इसकी लागत 4,300 करोड़ रुपये से अधिक होगी. नई रेजिमेंट अरुणाचल प्रदेश में तैनात की जाएगी, जिस पर चीन दावा जताता रहा है. हाल के वर्षों में सीमा पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच नियंत्रण रेखा को लेकर गतिरोध की कई घटनाएं हुई हैं.

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'तिब्बत और युन्नान प्रांत के लिए खतरा'
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के आधिकारिक पब्लि‍केशन 'पीएलए डेली' में छपी एक टिप्पणी में कहा गया, 'सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की तैनाती चीन को जवाबी उपाय करने के लिए प्रेरित करेगा. भारत सीमा पर सुपरसोनिक मिसाइलें तैनात कर रहा है. इसने चीन के तिब्बत और युन्नान प्रांतों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर दिया है. यह तैनाती निश्चित ही चीन-भारत संबंधों में प्रतिस्पर्धा और टकराव बढ़ाएगी और क्षेत्र की स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी.

टकराव की नीति का हिस्सा
रिपोर्ट में भारत द्वारा चीन से लगती सीमा पर अपनी क्षमताएं बढ़ाने के लिए किए गए अन्य कदमों का जिक्र भी किया गया है. इसमें यूएवी और एसयू-30 लड़ाकू विमानों की तैनाती शामिल है. दावा किया गया है कि ऐसे कदम टकराव की नीति का हिस्सा हैं और ब्रह्मोस मिसाइल हमलों की आकस्मिकता और प्रभाव को बढ़ा सकती है.

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