
सिक्किम सेक्टर में सीमा विवाद को लेकर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया से चीन हैरान है. अब वहां के एक्सपर्ट दावा कर रहे हैं कि भारत चीन के खिलाफ जो हिम्मत दिखा रहा है वो दरअसल ट्रंप के साथ मोदी की बढ़ती करीबी का नतीजा है. यही नहीं एक्सपर्ट ये भी मानते हैं कि हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी की वॉशिंगटन यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात से ही भारत को हिम्मत मिली है जो वो चीन को पलटकर आंखें दिखा पा रहा है.
शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के सीनियर फैलो ने अखबार ग्लोबल टाइम्स में लिखा है कि सीमा पर टकराव और चीन के खिलाफ एंटी डंपिंग जांच का ऐलान, ये दोनों घटनाएं ऐसे समय में सामने आई हैं जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी दौरा किया है. ऐसे में लोग भारत के इस 'दुस्साहस' को मोदी-ट्रंप की मुलाकात से जोड़ रहे हैं.
उन्होंने लिखा कि भारतीय सैनिकों ने चीन-भारत सीमा के अविवादित सिक्किम सेक्शन को पार किया और चीनी श्रमिकों द्वारा किए जा रहे सड़क निर्माण कार्य में बाधा पहुंचाई. ये सब मोदी की अमेरिका की यात्रा से कुछ दिन पहले हुआ. ये सब अमेरिका को दिखाने के लिए था कि भारत चीन के उभार को रोकने के लिए संकल्पित है.
सीमा विवाद के अलावा भारत ने ये भी घोषणा की कि वो चीन के पॉलिएस्टर यार्न के खिलाफ एंटी डंपिंग जांच शुरू करेगा.लियू ने हालांकि तर्क दिया कि मोदी के लिए ट्रंप के सम्मान के बावजूद, भारत जो कि ताकत में अमेरिका और चीन से पीछे है, ट्रंप का प्यार नहीं जीत सकेगा. उन्होंने कहा कि अमेरिका-भारत संबंध कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे अमेरिका के व्यापार घाटे, एच-1 बी वीजा और जलवायु परिवर्तन पर अमेरिकी प्रतिबंध से जुड़े हुए हैं.
चीनी विशेषज्ञ ने हिज्बुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन को एक वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के अमेरिकी कदम की भी आलोचना की. उन्होंने लिखा कि भारत ने अमेरिका की इस राय से अपनी सहमति जताई है कि, पाकिस्तान क्षेत्रीय विवादों का स्रोत है. ये दृष्टिकोण अफगान मुद्दे के साथ भारत-पाकिस्तान विवाद को अलग करता है, जिससे और परेशानी पैदा हो सकती है.