
दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के इलाके में रविवार को हुई हिंसा में कई छात्र घायल हो गए. आरोप है कि पुलिस कैंपस की लाइब्रेरी में घुसी और छात्रों से मारपीट की, जिसमें कई छात्र घायल हुए. पुलिस जब कैंपस के अंदर दाखिल हुई तो उसके बाद क्या हुआ, यह पूरी कहानी इंडिया टुडे टेलीविजन के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई ने कुछ चश्मदीदों से जानने की कोशिश की.
एक चश्मदीद के मुताबिक, जब बाहर से ज्यादा गैस के गोले आने लगे तो जो छात्र नीचे लाइब्रेरी में थे वो ऊपर आने लगे. फिर 15 मिनट बाद पुलिसवाले अंदर घुसे. उन्होंने दरवाजे तोड़ दिए. मुझे चारों तरफ मारे .घुटने पर मारे हैं. मेरा सिर फटने से बच गया, क्योंकि बैग मैंने ऊपर रखा था. मैं प्रदर्शन में शामिल नहीं था. जब पुलिस अंदर आई तो मैं अंदर लाइब्रेरी में पढ़ रहा था.
वहीं एक और चश्मदीद ने बताया कि पुलिस ने छात्राओं को बुरी तरह मारा. वहीं ऐसे आरोप भी लग रहे हैं कि कुछ पुलिसवालों पर हमला किया गया. इस पर उन्होंने कहा कि जब एक मारेगा तो दूसरा तो खाली नहीं बैठेगा. वो कोशिश तो करेगा बचने की. आत्मरक्षा में पत्थर चलाए गए. यूनिवर्सिटी के किसी छात्र ने पत्थर नहीं फेंका. बाहर के लोगों ने पत्थरबाजी की.
कैंपस में क्यों घुसी पुलिस
पुलिस के कैंपस में घुसने के कारण पर एक चश्मदीद ने कहा कि कैंपस में ज्यादातर छात्र पढ़ाई कर रहे थे. उस वक्त ना तो कोई नारेबाजी हो रही थी. ना कोई पत्थरबाजी. जो दूसरे प्रदर्शनकारी थे उनको दौड़ाते हुए पुलिस अंदर आती है और कैंपस की सिक्योरिटी के साथ मारपीट करती है.
उन्होंने बताया कि सिक्योरिटी ने उनको रोकने की कोशिश की. पुलिसवाले उनकी बात नहीं माने. वे लाइब्रेरी में घुसकर छात्रों को मारे. कोई भी प्रदर्शनकारी जामिया के कैंपस के अंदर नहीं घुसा. अंदर सिर्फ छात्र ही थे.
चश्मदीद ने बताया कि कैंपस का गेट पूरी तरह से लॉक था. फौजी को पीटा गया. वहीं कॉलेज के गेटकीपर ने कहा कि मेरी यहीं पर ड्यूटी थी. इमाम साहब मस्जिद के अंदर थे. सारे पुलिसवाले गेट के अंदर दाखिल हो गए. मैंने उन्हें रोकने की कोशिश की. मैंने कहा कि आप लोग मस्जिद के अंदर मत जाइए. मुझे मारते हुए बाहर तक ले गए.