Advertisement

शरणार्थियों के लिए आया बिल, जानें कौन है नागरिकता आवेदन का दावेदार

भारत में अभी तक नागरिकता हासिल करने के लिए 11 साल देश में रहने की शर्त थी जिस अवधि को संशोधन के जरिए कम किया गया है. बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों को अब 6 साल भारत में निवास करने के बाद नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है.

बिल के खिलाफ प्रदर्शन (PTI) बिल के खिलाफ प्रदर्शन (PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 9:54 AM IST

सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में नागरिकता संशोधन बिल को पारित कराने की तैयारी में है. कैबिनेट ने बुधवार को इस बिल पर अपनी मुहर लगा दी है और पूर्वोत्तर राज्यों के विरोध के चलते इसमें कुछ बदलाव भी किए गए हैं. बिल के तहत नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधान बदले जाएंगे और कुछ देशों के नागरिकों को भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी.

Advertisement

कौन होगा दावेदार

नागरिकता बिल में किए गए संशोधन से अब बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल कर सकेंगे. यह सभी समुदाय अपने मुल्क में अल्पसंख्यक हैं. इन धर्मों के वह लोग जिनके साथ उनके मुल्क में उत्पीड़न होता आया है अब भारत के नागरिकता हासिल करने के हकदार हो सकते हैं.

भारत में अभी तक नागरिकात हासिल करने के लिए 11 साल देश में रहने की शर्त थी जिस अवधि को संशोधन के जरिए कम किया गया है. बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों को अब 6 साल भारत में निवास करने के बाद नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है.

कौन कर सकेगा आवेदन

बिल के कानून बनने के बाद इन तीन देशों के गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी, बशर्ते वे 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हों. इस तारीख से पहले आए शरणार्थी ही नागरिकता पाने के लिए आवेदन कर सकते हैं. पूर्वोत्तर के कुछ इलाकों को छोड़कर देश के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में यह कानून लागू होगा और नागरिकता हासिल करने वाले शरणार्थी देश के किसी भी हिस्से में रहने के हकदार होंगे.

Advertisement

बता दें कि नागरिकता (संशोधन) बिल को जनवरी 2019 में लोकसभा से पारित कर दिया गया था लेकिन राज्यसभा में यह पास नहीं हो सका था. इसके बाद लोकसभा भंग होने के साथ ही यह बिल रद्द हो गया. अब एक बार फिर मोदी सरकार इस बिल को ला रही है जहां दोनों सदनों में बिल को पारित कराने की चुनौती होगी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement