
एनआरसी का विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है कि मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन बिल को लेकर पूरी तरह से कमर कस ली है. मोदी सरकार मुस्लिमों को छोड़कर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर भारत में अवैध ढंग से रह रहे लोगों को नागरिकता देने की तैयारी कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हो रही इस कैबिनेट बैठक में नागरिकता संशोधन बिल (CAB) पर मुहर लगा दी गई है.
बीजेपी और मोदी सरकार को ये कानून बहुत जरूरी लग रहा है. इसीलिए कैबिनेट की मंजूरी के बाद मोदी सरकार नागरिकता संशोधन बिल को संसद में पेश कर सकती है. जबकि, पूर्वोत्तर राज्यों सहित कई राजनीतिक दल और सिविल सोसायटी इस बिल के विरोध में हैं.
राजनाथ ने कहा- सदन में मौजूद रहें सांसद
केंद्रीय रक्षा मंत्री सिंह राजनाथ सिंह ने बीजेपी सांसदों से कहा कि जब गृह मंत्री अमित शाह नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करें तब वे बड़ी संख्या में उपस्थित रहें. उन्होंने कहा कि संसद में पार्टी सांसदों के अनुपस्थित रहने को गंभीरता से लिया जाएगा. उन्होंने नागरिकता संशोधन विधेयक पर विपक्ष की आलोचनाओं को खारिज किया और कहा कि बीजेपी हमेशा देश और लोगों को एकजुट करने के लिए काम करती है. राजनाथ सिंह के अलावा बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल बेहद जरूरी है. इसीलिए ये बिल इसी सत्र में पास होगा.
कांग्रेस ने जताई आपत्ति
वहीं, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने रविवार को कहा था कि बीजेपी इस बिल को पेश करने का सपना देख सकती है लेकिन इससे कुछ हासिल नहीं होगा. चौधरी ने कहा कि देश में सभी नागरिकों का समान अधिकार है. इस विधेयक से देश के लोगों के बीच एक अस्थिरता पैदा होगी.
उन्होंने कहा कि हमारा स्पष्ट रुख है कि देश के किसी भी नागरिक का अधिकार किसी को छीनने का हक नहीं है. भारत के जो असली बाशिंदे हैं, वे सोच रहे हैं कि पता नहीं उनके साथ क्या होगा. मुसलमानों को यह देश छोड़ कर क्यों जाना चाहिए और बीजेपी उन्हें क्यों भगाना चाहती है? इस देश के हर एक नागरिक को यहां समान अधिकार मिला हुआ है.
NRC का कवरअप और संविधान विरोधी बिल- TMC
तृणमूल कांग्रेस याद दिला रही है कि असम के एनआरसी से बाहर रह गए गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों को फिर से नागरिकता देने के लिए ये बिल लाने की हड़बड़ी है. टीएमसी के नेता सौगत रे ने कहा कि हम सिटीजनशिप (अमेंडमेंट) बिल के खिलाफ हैं. ये संविधान विरोधी बिल है. एनआरसी के मुद्दे पर जो प्रतिक्रिया हो रही है उसे कवरअप करने के लिए सरकार ये बिल लाने की तैयारी कर रही है. साथ ही, मिजोरम से राज्यसभा सांसद रोनाल्ड लॉस ने कहा था कि भारत में धर्म के आधार पर नागरिकता देना गलत होगा.
नागरिकता संशोधन बिल का सबसे ज्यादा विरोध पूर्वोत्तर के राज्यों में हो रहा है. पूर्वोत्तर के लोगों के एक बड़े तबके और संगठनों का कहना है कि यह बिल आने के बाद 1985 में हुए असम समझौते के प्रावधानों को प्रभावहीन कर देगा. यह समझौता 24 मार्च, 1971 के बाद के सभी अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने की बात कहता है, भले ही उनका धर्म कुछ भी हो.
कांग्रेस, टीएमसी, सीपीएम और कुछ अन्य राजनीतिक पार्टियां भी इस विधेयक का विरोध कर रही हैं और उनका कहना है कि धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दी जा सकती है. बीजेपी नीत एनडीए ने अपने पिछले कार्यकाल में लोकसभा में इस संशोधन विधेयक को पेश किया था और इसे पारित करा लिया था, लेकिन पूर्वोत्तर में जबर्दस्त विरोध होने की वजह से इसे राज्यसभा में पेश नहीं कर पाई थी. लोकसभा के भंग होने की वजह से विधेयक निष्प्रभावी हो गया था. अब केंद्र की सत्ता में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार है, ऐसे में इस बिल को सरकार एक बार फिर लाने जा रही है.