
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया है. राज्यसभा में पार्टी के सांसद आरसीपी सिंह ने इसका ऐलान किया. इसके थोड़ी देर बाद ही जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने पार्टी के फैसले का विरोध किया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, इस बिल का समर्थन करने से पहले जेडीयू नेतृत्व को उन लोगों के बारे में सोचना चाहिए था, जिन्होंने 2015 में पार्टी पर भरोसा और विश्वास जताया था.
पार्टी के वरिष्ठ नेता पवन कुमार वर्मा ने भी पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार से इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है. पार्टी के नेता पवन वर्मा ने मंगलवार को ट्वीट कर लिखा, मैं नीतीश कुमार से अपील करता हूं कि राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन पर दोबारा विचार करें. यह बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है और देश की एकता के खिलाफ है. यह बिल जेडीयू के मूल विचारों के भी खिलाफ हैं. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि अगर आज गांधी जी होते तो इसका विरोध करते.
इससे पहले प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा, नागरिकता संशोधन बिल पर जेडीयू के समर्थन से निराशा हुई है.यह बिल धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करने वाला है, जो भेदभाव पूर्ण है. प्रशांत किशोर यहीं नहीं रुके. उन्होंने पार्टी पर निशाना साधते हुए आगे लिखा, जेडीयू की ओर से नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन पार्टी के संविधान के से भी अलग है, जिसमें पहले ही पन्ने पर धर्मनिरपेक्षता शब्द तीन बार लिखा हुआ है.
किशोर ने सीधे पार्टी के नेतृत्वकर्ता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी आड़े हाथों लेते हुए ट्वीट कर आगे लिखा, नागरिकता संशोधन विधेयक पर पार्टी का समर्थन पार्टी के नेतृत्व के विचारधारा से मेल नहीं खाता है, जो कि महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित है.