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मोदी के भाषण पर CJI ने उठाए सवाल, कहा- मोस्ट पॉपुलर PM जजों पर नहीं बोले?

चीफ जस्टिस ने कहा कि अंग्रेजों के वक्त में तो दस साल में मुकदमे का फैसला हो जाता था. वो अब नहीं हो रहा. अब तो केस इतने बढ़ गए, मुकदमे इतने बढ़ गए और लोगों की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं.

टीएस ठाकुर, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया टीएस ठाकुर, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया
लव रघुवंशी/अहमद अजीम
  • नई दिल्ली,
  • 15 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 6:22 PM IST

लाल किले के प्राचीर से पीएम मोदी के भाषण में जजों की नियुक्ति पर कोई जिक्र नहीं होने पर भारत के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने निराशा जताई है. सीजेआई ने कहा कि हमने पॉपुलर प्राइम मिनिस्टर का भाषण डेढ़ घंटा सुना और लॉ मिनिस्टर साहब का भी सुना, मैं ये उम्मीद कर रहा था कि जजों की नियुक्ति के बारे में बात होगी.

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चीफ जस्टिस ने कहा कि अंग्रेजों के वक्त में तो दस साल में मुकदमे का फैसला हो जाता था. वो अब नहीं हो रहा. अब तो केस इतने बढ़ गए, मुकदमे इतने बढ़ गए और लोगों की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं. बहुत मुश्किल हो रहा हैं, इसलिए मैंने बार-बार गुजारिश की हैं कि जरा इस और भी तवज्जो दीजिए.

आज हम हिंदुस्तानी में बात करें
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया पहले भी जजों की नियुक्ति के मुद्दे को पीएम मोदी के सामने उठा चुके हैं. अपने भाषण की शुरूआत में उन्होंने कहा कि मेरे सारे अजीज दोस्त जो मुझसे पहले बोले, वो सब अंग्रजी मे बोले. मुझे लगता हैं कि आज का दिन कम से कम ऐसा है, जब हम हिंदुस्तानी में बात करें तो अच्छा है.

15 अगस्त की अपनी अहमियत
चीफ जस्टिस ने कहा कि मैं ये मानता हूं कि जो भी त्योहार मनाया जाता हैं, उसकी अपनी एक अहमियत होती है. पंद्रह अगस्त के दिन की भी अपनी खासियत है. हमें उस अहमियत को कमजोर नहीं करना चाहिए. आजादी के वो सिपाही जिन्होंने कुर्बानी दी, जेल की यातनायें सहीं, उनको याद करने का दिन हैं.

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कुर्बानी ना भूलें
टीएस ठाकुर ने कहा कि आपको याद हैं, 1948 जब पाकिस्तान का हमला हुआ, हजारों लोग कुर्बान हुए, कश्मीर को आजाद रखने के लिए. बहुत कुर्बानी दी. 65,71, कारगिल के युद्द में कुर्बानी दी. आज भी जहां उग्रवाद है, वहां भी हमारे फौजी, पैरामिलेट्री के जवान लगे हुए हैं, उन्हें भी नहीं भूलना चाहिए.

गरीबी और बेरोजगारी पर चीफ जस्टिस
1947 में हमारी आबादी 32 करोड़ थी. 10 करोड़ लोग तब भी गरीबी रेखा के नीचे थे. करीब एक तिहाई लोग गरीबी रेखा के नीचे थे. आज हमारी आबादी 125 करोड़ हो चुकी हैं. वही 10 करोड़ की आबादी 40 करोड़ के पास हो गई है. जरा उन पर भी ध्यान दीजिए, लेकिन आपने गरीबी रेखा भी ऐसे ड्रा की है कि 26 रुपये गांव में और 32 रुपये शहर में कमाने वाला शख्स गरीबी रेखा से ऊपर चला जाता है. एक बड़ी चुनौती ये है कि क्या हम 70 साल बाद गरीबी को हटा पाए हैं. आज रोजगार की परेशानी है. आज अगर मैं सुप्रीम कोर्ट में चपरासी के लिए वैकेंसी दूं तो पोस्ट ग्रेजुएट भी अप्लाई करते हैं.

अब कहने में कोई हिचक नहीं: CJI
सीजेआई ने कहा कि मैं कोर्ट के बाहर भी और कोर्ट के अंदर भी बड़ी बेबाकी से बोलता हूं, क्योंकि मुझे लगता हैं कि मेरी जिंदगी का जो सबसे ऊंचा स्तर हैं, मैं वहां पंहुचा हूं. इससे आगे मुझे कहीं नही जाना, इसलिए मुझे किसी चीज की परेशानी नहीं है और न ही कोई हिचक है. सही बात आपके दिल को छुएगी और यही मेरी ताकत भी हैं.

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