
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हिमाचल कांग्रेस में घमासान शुरू हो गया है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू को लगातार तरजीह देना अरसे से सूबे के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को रास नहीं आ रहा था. वो लगातार सुक्खू को हटाने मांग आलाकमान से कर रहे हैं. आलम यह था कि वीरभद्र सिंह कुछ वक्त पहले तक हिमाचल की प्रभारी महासचिव अंबिका सोनी से सुक्खू के साथ मिलने को तैयार नहीं थे. अब उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को खत लिखकर साफ कहा है कि अब मैं ना तो चुनाव लड़ूंगा और ना ही लड़ाऊंगा.
जब अंबिका सोनी से सुक्खू के साथ वीरभद्र मिलने को तैयार नहीं थे, तो सोनिया गांधी के निर्देश पर अंबिका ने अहमद पटेल की मदद ली. सोनिया के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल की मौजूदगी में अंबिका के घर पर सुक्खू और वीरभद्र एक साथ आये. इस बैठक में अहमद ने वीरभद्र को आश्वासन दिया कि अगले चुनाव की जिम्मेदारी आप पर ही है. आप ही हमारा चेहरा हो. बस सुक्खू को अध्यक्ष बने रहने दीजिए, वो आपके हिसाब से ही चलेगा. मुश्किल से वीरभद्र मान गए थे, लेकिन अंबिका को लेकर उनकी नाराजगी बनी रही.
जब स्वास्थ्य कारणों के चलते अंबिका ने बतौर प्रभारी महासचिव एक ही राज्य का प्रभार संभालने की बात कही, तो उनसे हिमाचल लेकर दूसरे वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे को प्रभारी महासचिव बना दिया गया. हालांकि आलाकमान के निर्देश पर जब शिंदे ने भी वीरभद्र विरोधी सुक्खू और जीएस बाली से अलग से बात की, तो वीरभद्र सिंह फिर नाखुश हो गए. उनको लगा कि उनसे जो वादा किया गया था, उसके उलट व्यवहार हो रहा है. साथ ही वीरभद्र का मानना है कि सुक्खू लगातार अहमद के आश्वासन के बावजूद वीरभद्र विरोधी राजनीति करते रहे.
सूत्रों के मुताबिक इसके बाद आनन फानन में वीरभद्र ने पिछले हफ्ते सोनिया गांधी, राहुल गांधी के साथ अहमद पटेल को नाराज़गी भरा खत लिख डाला. इसमें आलाकमान पर दबाव डालते हुए वीरभद्र ने दो टूक लिखा कि मैं पहले भी राज्य में पार्टी संगठन के हालात की जानकारी आप लोगों को देता रहा हूं, लेकिन परिस्थितियां जस की तस हैं. ऐसे में मैं ना चुनाव लडूंगा और ना ही पार्टी को लड़वाऊंगा. वीरभद्र ने इस खत की कॉपी प्रभारी महासचिव शिंदे को भी भेज दी है. इसके बाद से पार्टी में सभी के हाथ-पांव फूले हुए हैं.
सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी को भी समझ आ गया है कि अब बात प्रभारी के हाथ से ऊपर की है. इसीलिए एक बार अहमद पटेल पर वीरभद्र सिंह को समझाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन चुनाव के ठीक पहले वीरभद्र के तेवर आलाकमान के लिए किसी बुरी खबर से कम नहीं हैं. सूत्रों के मुताबिक वीरभद्र सिंह जल्द ही दिल्ली आकर आलाकमान से दो टूक फैसला करना चाहते हैं.
दरअसल, सुक्खू को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है. इसीलिए अंबिका हों या शिंदे वो सुक्खू को तरजीह देने को मजबूर रहे. फिलहाल राहुल विदेश में हैं और अहमद गुजरात में. ऐसे में यह मामला और पेचीदा हो गया है, लेकिन कांग्रेस आलाकमान भी यह जानता है कि वीरभद्र का कद हिमाचल में वैसा ही है, जैसा पंजाब में अमरिंदर का. लिहाजा कांग्रेस के लिए हिमाचल कांग्रेस का विवाद सुलझाना किसी चुनौती से कम नहीं।