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यहां 11 साल पहले से हैं स्वच्छता अभियान, गंदगी करने पर कटता है पानी का कनेक्शन

गांव की सरपंच कांताबेन ने कहा, 'हमारे गांव को स्वच्छ रखने के लिए हमारे गांव में कचरा साफ करने की व्यवस्था है. चार साल से ट्रैक्टर रखा है. वह सुबह और शाम को पूरे गांव में घूमता है और कचरा लेता है.

गंदगी करने पर लगता है भारी जुर्माना गंदगी करने पर लगता है भारी जुर्माना
लव रघुवंशी/गोपी घांघर
  • राजकोट,
  • 05 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 5:42 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की, लेकिन राजकोट जिले का खोखड़दड़ गांव में 11 साल पहले ही स्वच्छता अभियान की शुरुआत हो चुकी थी. 2005 से गांव के लोग घर का कूड़ा-कचरा गांव के बाहर फेंकते हैं. पिछले चार साल से पूरे गांव में घर-घर कूड़ा-कचरा लेने के लिए ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया जाता है, और साथ में पिछले 10 साल से गांव के हर परिवार को दो-दो पेड़ लगाने भी आवश्यक है, जिससे आज पूरे गांव में हरियाली है.

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गंदगी करने पर भारी जुर्माना
गांव की सरपंच कांताबेन ने कहा, 'हमारे गांव को स्वच्छ रखने के लिए हमारे गांव में कचरा साफ करने की व्यवस्था है. चार साल से ट्रैक्टर रखा है. वह सुबह और शाम को पूरे गांव में घूमता है और कचरा लेता है. लोग उसमें कचरा डालते हैं, जो नहीं डालते है या कहीं भी कचरा फेंकते है, उनको जुर्माना भरना पड़ता है 500 रुपये. जो दूसरी बार डालते है उन पर 1000 रुपये जुर्माना है और कई बार डालते हैं, तो उन पर जुर्माने पर जुर्माना लगता है.

गंदगी करने पर पानी का कनेक्शन नहीं
राजकोट के इस गांव में 2005 में पंचायत में एक फैसला हुआ कि गांव को साफ रखने के लिए गांव के सभी परिवार को कूड़ा-कचरा गांव के बाहर फेंका जाए. अगर कोई भी गांव के रास्तों पर या घर के बाहर कूड़ा फेंकेगा तो उस पर 500 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक का जुर्माना किया जाएगा और वहीं गलती वो बार-बार दोहराएगा तो उसके घर का पानी का कनेक्शन काट दिया जाएगा. इस फैसले का पहले तो कुछ गांव के लोगों ने विरोध किया था और कई लोगों के घर का पानी का कनेक्शन भी जुर्माना के तौर पर काट दिए गए थे. धीरे-धीरे गांव के लोगों में कूड़ा-कचरा गांव के बाहर फेंकने की आदत हो गई.

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पूरे गांव में 10 हजार से ज्यादा पेड़
गांव के लोगों ने गांव को स्वच्छ बनाए रखने के साथ-साथ गांव को हरा-भरा बनाने के लिए भी कमर कसी. पिछले 10 साल से यहां बसे हर परिवार को सालाना दो-दो पेड़ लगाने होते हैं. पेड़ लगाने के बाद उसका रख-रखाव करने की जिम्मेदारी भी पेड़ बोने वाले परिवार की होती है. अगर पेड़ का रख-रखाव ना किया तो उस परिवार का भी जुर्माने के तौर पर पानी का कनेक्शन काट दिया जाता है. इसका नतीजा यह आया है की आज खोखड़दड़ गांव के हर घर के आंगन ने पेड़ दिखाई देता है. इसके साथ ही पूरे गाव में तकरीबन 10 हजार से भी ज्यादा पेड़ हैं. यहां प्रदूषण भी कम है और हमेशा वातावरण भी शीतलमय रहता है.

डिजिटल होगा गांव
अब इस गांव की पंचायत पूरे गांव में सीसीटीवी कैमरा और वाई-फाई लगवाना चाहती है. गांव के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले इसलिए डिजिटल स्कूल बनाना चाहती है. स्कूल के लिए सरकार ने गांव को एक एकड़ जमीन दे दी है. आने वालो दिनों में ये गांव डिजिटल गांव की और कदम बढ़ाने जा रहा है.

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