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उत्तराखंड में बादल फटने के बाद भी आफत टली नहीं है. मौसम विभाग ने चारधाम यात्रियों को 4 दिन तक अलर्ट रहने के लिए कहा है. टिहरी के घनसाली में शनिवार को बादल फटने से एक स्कूल भी पानी में बह गया. बादल फटने से 15 साल का विपुल नाम के लड़के की पानी में बह जाने से मौत हो गई.
पानी में बह गया हाईवे का हिस्सा
घनसाली में बादल फटने से घरों और सड़कों को बहुत नुकसान पहुंचा है. राजधानी देहरादून में भी आंधी-बारिश से घरों की बिजली गुल रही. घनसाली में बादल फटने से हाईवे का हिस्सा पानी में बह गया, जिससे सैंकड़ों
यात्री फंसे हुए हैं.
बिलकेश्वर में फंसे 200 से ज्यादा यात्री
घनसाली ब्लॉक के गीर गाउ के अलावा किरेथ, श्रीकोट, राजगांव और कोठियाड़ सहित कई गांवों में भारी मची है. बादल फटने के बाद गांव में आए पानी और मलबे के सैलाब से लाखों की संपत्ति बर्बाद हो गई. यही नहीं,
घनसाली से होते हुए केदारनाथ की तरफ जाने वाली सड़क 15 जगहों से टूट चुकी है. अकेले घनसाली के पास ही 20 मीटर से अधिक सड़क पानी के तेज बहाव में बह गई. इस वजह से चारधाम यात्रा के सैकड़ों यात्री
जहां तहां फंस चुके हैं. बिलकेश्वर मंदिर चमियारा के पास ही करीब 200 से अधिक यात्री शरण लेने के लिए मजबूर हैं.
पानी में बह गया 15 साल का लड़का
घनसाली के थाना प्रभारी पवन कुमार ने बताया कि 15 वर्षीय विपुल बादल फटने के बाद आई बाढ़ में बह गया. प्रभारी जिलाधिकारी अहमद इकबाल ने कहा, घनसाली के एसडीएम विनोद कुमार के साथ पुलिसकर्मियों की एक टीम को प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति का जायजा लेने के लिए रवाना किया गया है. बादल फटने से कोठियारा गांव में करीब 50 घर मलबे में तब्दील हो गए. मलबे में करीब सौ जानवर भी दब गए.
इकबाल ने बताया, चूंकि बादल फटने की घटना दिन में हुई इसलिए लोग सुरक्षित भागने के लिए सचेत थे. इसी तरह के बादल फटने की घटना केमरा और सिलियारा गांवों में भी हुई. गांवों में जल सैलाब आने से कई दोपहिया वाहन और कार भी डूब गए. मलबे में अंबेडकर छात्रावास की दो मंजिलें दब गईं. मलबे में केमरा में 20 घर और सिलियारा में 50 घर दब गए. इकबाल ने कहा कि गिर गांव में अचानक बाढ़ आने से ब्राइटलैंड्स पब्लिक स्कूल का भवन धाराशायी हो गया.
रात में आती आफत तो होता और ज्यादा नुकसान
जिला और पुलिस प्रशासन की टीमों के साथ साथ एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंच चुकी है. लोग यही कह रहे हैं कि आसमान से आई आफत दिन में आई है, अगर रात में हादसा होता तो नुकसान का दायरा बड़ा होता. मानसून के आने से पहले टिहरी में हुई इस तबाही के बाद शासन प्रशासन के उन दावों की पोल खुल गई है, जो किसी भी आपदा से निपटने के लिए खुद को पूरी तरह से तैयार बता रहे थे.