
महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या की खबरों के बीच विपक्ष उनके कर्ज माफी की मांग लगातार उठा रहा है. सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस इस मुद्दे पर सदन में हुई बहस का जवाब देंगे. फड़नवीस के जवाब पर महाराष्ट्र की हालिया राजनीति की दिशा तय होगी.
हालांकि किसानों की कर्ज माफी के बारे में सदन के बाहर मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं. इन दोनों के सदन से बाहर दिए गए बयानों से यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि सरकार किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी की मांग को नहीं मानेगी. अलबत्ता किसानों को आंशिक कर्ज माफी या ब्याज में माफी मिल सकती है. इसके अलावा सरकार किसानों को खुश करने के लिए विभिन्न तरह के अनुदान और अन्य सुविधाओं की घोषणा कर सकती है.
हमलावर है विपक्ष
विपक्ष द्वारा किसानों की कर्ज माफी के प्रस्ताव पर बीते गुरुवार और शुक्रवार दो दिन विधानसभा में जोरदार बहस हुई है. इस बहस में विपक्ष के प्रमुख नेताओं ने किसानों की कर्ज माफी की जोरदार पैरवी की है. एनसीपी नेता अजित पवार ने इस मुद्दे पर कहा, 'महाराष्ट्र का गन्ना उत्पादक किसान, कपास उत्पाद किसान, दूध उत्पादक किसान, फल उत्पादक किसान हर कोई मौसम और कर्ज की मार से पीड़ित है. उसे सरकारी सहारे की जरूरत है. उसे कर्ज से मुक्ति मिलनी चाहिए.'
क्या है सरकार का तर्क
बीजेपी नेता एकनाथ खड़से ने कर्ज माफी का विरोध करते हुए कहा था, '2008 में जब किसानों को कर्ज मुक्ति दी गई थी तो उसका फायदा किसानों को नहीं, बल्कि सहकारी बैंकों को हुआ था. आज अगर किसानों को कर्ज माफी दी गई, तो 24000 करोड़ रुपये कहां से आएंगे? इसलिए मुख्यमंत्री चाहते हैं कि किसानों की कर्ज माफी की बजाए उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने का काम किया जाए.'