
कोयला घोटाले से जुड़े एक मामले में विशेष अदालत ने पूर्व कोयला राज्यमंत्री संतोष बागरोडिया को जमानत दे दी. यह मामला महाराष्ट्र में बांडेर कोयला ब्लॉक आवंटन में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है.
स्पेशल कोर्ट से मिली जमानत
सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें निचली अदालत में व्यक्तिगत पेशी से छूट दिए जाने से इनकार किए जाने के एक दिन बाद बागरोडिया विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पाराशर के समक्ष आरोपी के रूप में उपस्थित हुए. पूर्व मंत्री ने अपने वकील वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन के जरिए मामले में जमानत के लिए अर्जी दाखिल की. अदालत ने बागरोडिया को एक लाख रूपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर जमानत प्रदान कर दी. न्यायाधीश ने कहा, ‘बयान के संबंध में मामले के सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए एक लाख रूपये के निजी मुचलके और इतनी राशि की जमानत पर मैं संतोष बागरोडिया की जमानत मंजूर करता हूं.’ सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि वह अंतिम रिपोर्ट के साथ पेश किए गए दस्तावेजों की प्रति खुद ही आरोपी को मुहैया करा देंगे.
बागरोडिया के साथ कई अन्य भी हैं आरोपी
बागरोडिया के अतिरिक्त राज्यसभा सदस्य विजय दर्डा, उनके पुत्र देवेंद्र दर्डा, पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता, सेवानिवृत्त लोकसेवक एलएस जनोटी, एएमआर आयरन एंड स्टील प्राइवेट लिमिटेड और इसके निदेशक मनोज कुमार जायसवाल इस मामले में आरोपी हैं. इससे पहले अदालत ने मामले के शेष आरोपियों को जमानत दे दी थी. आईपीसी की धाराओं- 120-बी (आपराधिक साजिश) 420 (धोखाधड़ी) 409 (लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात) और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के संबंधित प्रावधानों के तहत दंडनीय अपराधों के आरोपों पर संज्ञान लेने के बाद अदालत ने इन लोगों को तलब किया था.
पिछले साल दाखिल हुआ था आरोपपत्र
अदालत ने 30 जनवरी के अपने आदेश में कहा था कि बागरोडिया, गुप्ता और जनोटी ने कथित तौर पर आपराधिक कदाचार किया और गैर कानूनी तरीके से कोयला ब्लॉक हासिल करने में आरोपी फर्म एएमआर आयरन एंड स्टील प्राइवेट लिमिटेड की मदद की. आरोपियों के खिलाफ कथित अपराधों के लिए आईपीसी और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत पिछले साल 27 मई को आरोपपत्र दायर किया गया था. एएमआर आयरन एंड स्टील प्राइवेट लिमिटेड के संबंध में सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में दावा किया था कि फर्म ने कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए अपने आवेदन में ‘फर्जी तरीके से’ इस तथ्य को छिपाया कि इसकी समूह फर्मों को पहले ही पांच कोयला ब्लॉक आवंटित हो चुके हैं.
-इनपुट:IANS